
कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में नौकरी करने वाली महिलाएं कहती हैं कि उन्हें दिखाई देने वाला काम करने से उपलब्धि महसूस होती है. इसके बावजूद इस क्षेत्र में काफी कम महिलाएं नजर आती हैं.लारिसा साइखहार्ट, बर्लिन में एलएटी नाम की अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाती हैं. कंपनी में रोजमर्रा के कामकाज का रिकॉर्ड रखने के लिए एक रोबोटिक कुत्ते का इस्तेमाल करती हैं. यह चार पैरों वाला रोबोट, कैमरों और सेंसरों से लैस है और रोजाना होने वाले काम का रिकॉर्ड रखता है.
एलएटी, रेलवे ट्रैक पर हाई-वोल्टेज केबल बिछाने का काम करती है. साइखहार्ट ने डीडब्ल्यू को बताया कि उनके 130 कर्मचारियों में से कोई भी दिन भर की मेहनत के बाद ऑफिस लौटकर काम का लेखा-जोखा नहीं करना चाहता है. लेकिन इसके बिना अगली शिफ्ट को यह पता नहीं चल पाएगा कि तारें कहां तक बिछाई जा चुकी हैं.
एलएटी का चार पैरों वाला रोबोटिक कुत्ता इसी समस्या का समाधान करता है. यह रेलवे ट्रैक के पास घूमकर, जहां तक काम हुआ है, उसे रिकॉर्ड कर लेता है और इस जानकारी को सीधे कंपनी के थ्रीडी मॉडल में भेज देता है. ताकि बाद में इस जानकारी का इस्तेमाल कर काम को आगे बढ़ाया जा सके.
इस तरह का ऑटोमैटिक डेटा संग्रहण, केबल को नुकसान से बचाने में भी मदद करता है. क्योंकि अगर सही जानकारी नहीं होगी, तो बिजली गुल होने और महंगी मरम्मत का खतरा बढ़ सकता है.
बहनों ने बनाई डिजिटल कंस्ट्रक्शन कंपनी
साइखहार्टऔर उनकी बहन, आराबेले लाटरनसर, कई सालों पहले अपने पिता की मौत के बाद छोटी-सी कंस्ट्रक्शन कंपनी की मालकिन बन गईं. आधुनिक टेक्नोलॉजी के प्रति उनके उत्साह ने पुराने जमाने की कंस्ट्रक्शन कंपनी को डिजिटल कंपनी में बदल दिया.
साइखहार्ट बताती हैं कि यह बदलाव भी जरूरत के कारण ही आया. जब उनके पिता का निधन हुआ, तब वह गर्भवती थी. उस समय उनकी बहन बार-बार नए दस्तावेज साइन करवाने के लिए घर लाती रहती थी. दोनों बहनें भारी-भरकम फाइलें ढोते-ढोते थक गईं थी और तब उन्होंने पूरा कामकाज डिजिटल करने का फैसला किया, ताकि वह कहीं से भी काम संभाल सकें.
फील्ड में काम करने वाले कर्मचारी भी दस्तावेजीकरण, उपकरण प्रबंधन और काम पर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी के लिए डिजिटल ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं. यह सभी जानकारियां एक डेटाबेस में सुरक्षित रखी जाती हैं.
साइखहार्ट ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमारा काम बहुत कठिन होता है.” ऐसे में प्रशासनिक काम अक्सर रात में, सप्ताह के अंत में या छुट्टियों में करना पड़ता है. इसलिए वह अपनी टीम को कागजी काम से जितनी हो सके, उतनी राहत देने की कोशिश करती हैं.
कंस्ट्रक्शन क्षेत्र अभी भी औरतों के लिए नहीं
निर्माण क्षेत्र की छवि अक्सर गंदे, शोरगुल वाले, पुरुष-प्रधान और तकनीकी रूप से पिछड़े क्षेत्र की रही है. कचरा उत्पादन और कार्बन उत्सर्जन जैसी समस्या भी इस क्षेत्र में लगातार बनी रहती है.
साथ ही इसमें सबसे बड़ी समस्या कुशल कामगारों की कमी है. जर्मन निर्माण उद्योग संघ (एचडीबी) के अनुसार, अगले दस वर्षो में एक चौथाई कुशल निर्माण कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे. लेकिन उस हिसाब से युवा कर्मचारी खासकर महिलाएं इस क्षेत्र में बहुत कम संख्या में सामने आ रही हैं.
एचडीबी के अनुसार, जर्मनी में कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में केवल 14 फीसदी महिलाएं हैं, जो कि काफी कम है. सालों की मजबूत आर्थिक वृद्धि और अच्छी आय की संभावनाओं के बावजूद भी इस क्षेत्र में कोई खास बदलाव नहीं आया है.
इसके अलावा ऐसे काम, जहां भारी शारीरिक श्रम की जरूरत होती है, जैसे ईंट की चिनाई करना, सड़क की मरम्मत करना और अंडरग्राउंड निर्माण में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ दो फीसदी है. एचडीबी के आंकड़ों के अनुसार यह आंकड़ा पिछले बीस वर्षो में शायद ही बढ़ा है. हालांकि, योजना बनाने और निगरानी करने वाले कामों में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 28 फीसदी है, जो कि बाकी कामों के मुकाबले कुछ बेहतर है.
लगातार काम के चलते, एक कंस्ट्रक्शन साईट से दूसरी साईट पर जाते रहने से वर्क- लाइफ बैलेंस बिगड़ता है. निर्माण उद्योग द्वारा समर्थित एक इंटरनेट अभियान, जिसका जर्मन में नाम विअर क्योनन बाउ (अर्थात हम निर्माण कर सकते हैं) है, ये अधिक से अधिक महिलाओं को इस क्षेत्र में लाने की कोशिश करता है. यह अभियान काम के लचीले घंटे, बच्चों की देखभाल में सहयोग और रिमोट वर्क जैसे विकल्पों की मांग करता है.
साइखहार्ट ने बताया कि हालांकि एलएटी एक "छोटी कंपनी है जो भर्ती पर ज्यादा खर्च नहीं करती." फिर भी उन्हें महिलाओं और युवाओं के कई "आवेदन" मिले. इसका श्रेय वह कंपनी की आधुनिक छवि को देती हैं. जिसके चलते उन्हें परिवार-हितैषी होने और स्टार्टअप्स के साथ परियोजना करने के लिए पुरस्कार भी मिले हैं.
‘अकेली महिला' होना परेशान नहीं करता
बियांका वेबर-लॉरेंस ने डीडब्ल्यू को बताया कि डिजिटलीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) निर्माण क्षेत्र में महिलाओं के लिए नए अवसर पैदा कर रहे हैं. वेबर-लॉरेंस 1997 में जर्मनी के बाडेन-वुर्टेमबर्ग राज्य में पहली महिला राजमिस्त्री बनीं थी. तब के पश्चिम जर्मनी ने जब निर्माण स्थलों पर महिलाओं के काम करने पर से प्रतिबंध हटाया, यह उसके तीन साल बाद की बात है.
पीएचडी धारक और कंस्ट्रक्शन इंजीनियर, बियांका का राजमिस्त्री का काम सीखने का अनुभव अब उन्हें लोगों को यह समझाने में मदद करता है कि कैसे निर्माण, महिलाएं और एआई एक बेहतरीन मेल है.
उन्होंने कहा, "जैसे पहले क्रेन तकनीक के इस्तेमाल ने हमें भारी शारीरिक काम से राहत दी थी. अब एआई भी उसी तरीके से मददगार होगा.” और "जब मैं पाइप बिछाने का काम खत्म कर लेती हूं, तो उसकी फोटो लेकर बिलिंग विभाग को भेज देती हूं. एआई, इमेज रिकग्निशन की मदद से तुरंत पूरे किए गए सेक्शन की पहचान हो जाती है और बिल बना दिया जाता है.”
उन्होंने बताया कि माप लेना, योजना बनाना और डिजाइन करने जैसे कुछ कामों को घर से भी कुशलतापूर्वक किया जा सकता है. हालांकि, कभी-कभी आर्किटेक्ट और इंजीनियर का साइट पर मौजूद रहना जरूरी होता है. "लेकिन असली सवाल यही है कि कितनी बार और कितनी देर के लिए."
वेबर-लॉरेंस ने बताया कि अपने काम के दौरान पुरुषों के बीच अकेली महिला होना उन्हें कभी परेशान नहीं करता था. उन्होंने बताया कि वह आज भी अपने पूर्व सुपरवाइजर की अच्छी दोस्त हैं.
"पुरुष पहली बार एक महिला राजमिस्त्री को देख कर हैरान हुए थे. लेकिन धीरे-धीरे, उन्होंने मुझे काम सौंपना शुरू कर दिया. पुरुष उन महिलाओं का सम्मान करते हैं जो हर मौसम में कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकती हैं और जिनके पास काम की एक स्पष्ट योजना होती है."
वेबर-लॉरेंस ने बताया कि आधुनिक उपकरणों की वजह से आज, कंस्ट्रक्शन कार्य पहले की तुलना में बहुत कम शारीरिक बल की मांग करता है. वह जर्मनी की महिला नेताओं के संगठन ‘स्पिटसनफ्राउएन' में एक मेंटर के रूप में कॉन्ट्रक्क्शन क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखने वाली लड़कियों की भी मदद करती हैं.
एआई का बेहतर इस्तेमाल
बीआईएम (बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग) से निर्माण क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें हैं. यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो अब जर्मनी के निर्माण स्थलों पर तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है. यह परियोजना से जुड़े सभी विभागों को सारे दस्तावेज एक ही जगह पर उपलब्ध करा देता है.
वेबर-लॉरेंस का कहना है कि बीआईएम संचार को आसान बनाता है और "बहुत से गलतियों को होने से रोकने में मदद करता है."
उन्होंने कहा, "मेरा फोकस ऐसी तकनीक की पहचान करना है, जो कंपनी के लिए उपयोगी हो सके. जो बार-बार दोहराए जाने वाले कामों को मशीनों से करवाकर कंस्ट्रक्शन को आसान बनाएं, सामान की बर्बादी रोकने में मददगार हो और डेटा को सुरक्षित रखे." उन्होंने यह भी कहा कि इससे इस क्षेत्र में "सराहना, भरोसा कायम करना और गुणवत्ता जैसे मूल्यों" को मजबूती मिलेगी.
2020 में उन्होंने "इनिशिएटिव फॉर एक्सीलेंस" की शुरुआत की, जिसका काम कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में "स्थायी और मानव-केंद्रित एआई" को बढ़ावा देना है. इस पहल ने उन्हें नैतिकता, एआई और कंस्ट्रक्शन को जोड़ने वाले इंसान की तरह बढ़ावा दिया है. इसके कारण उन्हें अब जर्मन निर्माण उद्योग और अन्य क्षेत्रों से भी समर्थन मिल रहा है.