
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण पूर्वी एशिया में दिन-पर-दिन साइबरस्कैम सेंटर बढ़ रहे हैं और ये दुनियाभर में भी फैल रहे हैं. गैंग के लोग कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए लगातार जगह बदलते रहते हैं.संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध समूह दुनियाभर में अपने स्कैम का जाल फैला रहे हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जहां ये स्कैम सेंटर मौजूद थे, वहां सरकार और अधिकारी इन पर लगाम कसने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू कर रहे हैं. इससे बचने के लिए वे इलाके तलाश रहे हैं.
ऐसे स्कैम सेंटर दक्षिण पूर्वी एशिया में कई सालों से चल रहे हैं. कंबोडिया,लाओस और म्यांमार, साथ ही फिलीपीन्स, इनका गढ़ माने जाते हैं और इसे अंजाम देने वाली अलग अलग गैंग एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर घूमती रहते हैं ताकि वो किसी एक देश के कानून की गिरफ्त में ना आ सकें.
यह स्कैम दुनिया में कई नए इलाकों तक भी पहुंच गए हैं. अफ्रीका और यहां तक कि लैटिन अमेरिका से भी ऐसी धोखाधड़ियों की खबरें आ रही हैं जहां स्कैमरों ने किसी को झूठे प्यार के जाल में फंसा लिया, या कोई झूठा निवेश और व्यापार का वादा कर के पैसे ऐंठ लिए या फिर गैरकानूनी सट्टेबाजी में लोगों को फंसा दिया हो. इन सभी मामलों में धोखाधड़ी करने वाले पैसे लेकर फरार हो गए.
संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई अपराध सिंडिकेट ऐसे दूरदराज के इलाकों में काम कर रहे हैं, जहां कानून लागू करने वाली संस्थाएं कमजोर हैं और ऐसे स्कैमों की भरमार से तंग आ चुकी हैं.
दक्षिण-पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए यूएनओडीसी के क्षेत्रीय अधिकारी बेनेडिक्ट हॉफमैन ने एक बयान में कहा, "यह रिपोर्ट इस उद्योग के बढ़ने और व्यापार करने के नए तरीकों और स्थानों की तलाश के साथ-साथ एक स्वाभाविक विस्तार को भी दर्शाती है. और साथ ही रिपोर्ट ये भी दिखाती है कि आगे चलकर अगर ये स्कैम यूं ही चलते रहे तो अपराधी भविष्य में अपने ऊपर कैसे जोखिम कम कर सकेंगे.”
यूएनओडीसी का अनुमान है कि सैकड़ों औद्योगिक स्तर के फ्रॉड सेंटर्स लगभग 40 अरब डॉलर का सालाना मुनाफा कमा रहे हैं.
एक जगह पर नहीं टिकते स्कैमर
अपने कार्यक्षेत्र से बाहर निकलकर दूसरे देशों में सेंटर खोलने का चलन तेजी से बढ़ा है. ऐसे कई सेंटर अफ्रीका, दक्षिण पूर्वी एशिया, खाड़ी देशों और प्रशांत महासागर के कई द्वीपों में सामने आ रहे हैं. यूरोप, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका में तो सेंटरों में हवाला का पैसे से लेकर मानव तस्करी और रिक्रूटमेंट सेवाएं तक उपलब्ध थीं.
अफ्रीका में, नाइजीरिया ऐसी गतिविधियों के लिए एक हॉट स्पॉट बन चुका है, जहां 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में पुलिस की छापेमारी के कारण कई गिरफ्तारियां हुईं. इनमें पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया के लोग भी शामिल हैं, जिन पर क्रिप्टोकरेंसी और रोमांस घोटाले का आरोप लगा है. जाम्बिया और अंगोला में भी प्रशासन ने एशिया-संबंधित साइबर धोखाधड़ी गतिविधियों का भंडाफोड़ किया है.
यूएन की रिपोर्ट के अनुसार "लैटिन अमेरिका में ब्राजील एक ऐसा देश बनकर उभरा है जहां ऐसे स्कैमों से निपटने के लिए काफी जद्दोजहद चल रही है. इनमें साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन सट्टेबाजी, हवाला रकम जमा करना सबसे आम फ्रॉड हैं, इनके सरगना दक्षिण पूर्वी एशिया से बैठकर इस व्यापार को चला रहे हैं.”
दुनियाभर में फैल रहा फ्रॉड का बाजार
रिपोर्ट में एक किस्सा ऐसा भी है जब 2023 में पेरू में 40 मलेशियाई लोगों को ताइवान स्थित रेड ड्रैगन नाम की गैंग से बचाया गया था. इस गैंग ने इन्हें पकड़ कर साइबर फ्रॉड गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मजबूर किया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चिंताजनक बात यह है कि जहां एक ओर एशियाई गैंग भौगोलिक रूप से दुनियाभर में फैल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दुनिया में और जगहों के गैंग भी इसमें शामिल हो रहे हैं.
तकनीक की मदद लेते अपराधी
रिपोर्ट में कहा गया है कि नए ऑनलाइन बाजार, मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क, चोरी किए गए डेटा उत्पाद, ऐसे सॉफ्टवेयर जो कोई अड़चन पैदा करें या वायरस डाल दें (मालवेयर), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तकनीकें आग में घी का काम कर रही हैं. ये नई नवेली तकनीक और खोजें उनके कारोबार को ऑनलाइन संचालित करने और कार्रवाई से निपटने में मदद कर रही हैं.
हॉफमैन कहते हैं, "एक ओर इन गतिविधियों की तेजी से बढ़ने और ज्यादा प्रोफेशनल होने की सांठगांठ है तो दूसरी ओर, दूसरे देशों में इनके फ्रॉड का बढ़ता क्षेत्र है. ये दो चीजें इस उद्योग की बढ़ती साठगांठ का सबूत हैं– और सरकारों को इसका जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा.”