Ramadan 2025: रमज़ान के पाक महीने की शुरुआत पर PM मोदी ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रमज़ान के पाक महीने की शुरुआत पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "जैसे ही रमज़ान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है, यह हमारे समाज में शांति और सद्भाव लेकर आए. यह पवित्र महीना आत्मचिंतन, कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक है, जो हमें करुणा, दया और सेवा के मूल्यों की याद दिलाता है."

रमज़ान इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग रोज़ा रखते हैं, इबादत करते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं. यह महीना संयम, आत्मअनुशासन और परोपकार का संदेश देता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने हर साल की तरह इस बार भी रमज़ान पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने का संदेश दिया है.

रमज़ान क्या है? 

रमज़ान इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण महीना माना जाता है. यह इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है, जिसे उपवास (रोज़ा), इबादत और आत्मसंयम के लिए जाना जाता है. इस महीने को विशेष रूप से इसलिए अहम माना जाता है क्योंकि इसी दौरान इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान का अवतरण हुआ था.

रमज़ान का महत्व 

रोज़ा (उपवास) – इस महीने में मुस्लिम समुदाय सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं. इस दौरान वे खाने-पीने से परहेज करते हैं और किसी भी तरह के गलत कार्यों से बचते हैं.

नमाज़ और इबादत – रमज़ान के दौरान विशेष नमाज़ों का आयोजन किया जाता है, जिसमें तरावीह की नमाज़ भी शामिल होती है.

जकात (दान) – इस महीने में दान-पुण्य और गरीबों की मदद करने का विशेष महत्व है. इसे इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना गया है.

क़ुरआन का अध्ययन – इस महीने में कुरआन पढ़ने और उसकी शिक्षाओं को अपनाने की परंपरा होती है.

शब-ए-क़द्र – रमज़ान की आखिरी दस रातों में एक रात शब-ए-क़द्र कहलाती है, जिसे सबसे पवित्र रात माना जाता है. इस रात को इबादत करने का विशेष महत्व है.

रमज़ान के बाद ईद-उल-फित्र 

रमज़ान के पूरे महीने रोज़े रखने के बाद ईद-उल-फित्र मनाई जाती है, जो इस्लाम धर्म में सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. इस दिन विशेष नमाज़ अदा की जाती है और मीठी सेवइयों के साथ खुशियां बांटी जाती हैं.

रमज़ान आत्मसंयम, भक्ति, दया, करुणा और भाईचारे का संदेश देता है. यह महीना लोगों को आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है और समाज में सौहार्द का वातावरण स्थापित करता है.