टीआरएफ क्या है और ये क्या चाहता है
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पहलगाम में पर्यटकों पर हमला करने वाला टीआरएफ 2019 में शुरू हुआ संगठन है. जानिए कि भारतीय सेना और गृह मंत्रालय इसके बारे में क्या कहते हैं.द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का पहली बार सार्वजनिक जिक्र मई 2020 में भारत के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मुकुंद नरवणे ने किया था. भारतीय न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में जनरल नरवणे ने कहा, "मैं इसे टेरर रिवाइवल फ्रंट कहूंगा. यह अलग नाम वाला एक और आतंकवादी संगठन है. इस आतंकवादी संगठन को सीमा पार से इसके आका मदद दे रहे हैं. इसके साथ तरीके से निपटा जाएगा."

भारत सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया. उस वक्त जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना के प्रमुख थे. दिसंबर 2019 में एक हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल रावत की मौत हो गई जिसके बाद जनरल नरवणे सेना प्रमुख बने. नरवणे ने पद संभालते समय ही कहा कि कश्मीर कुछ और वक्त तक संवेदनशील हॉटस्पॉट बना रहेगा.

एएआई के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि छह महीने बाद भी, भीतर से बहुत ज्यादा सहारा ना मिलने के बाद, पाकिस्तान कुछ अतिरिक्त कोशिशें करेगा और कश्मीर मुद्दे की ओर ध्यान खींचने की कोशिश करेगा."

टीआरएफ को लेकर भारतीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना

जनवरी 2023 में भारत के गृह मंत्रालय ने टीआरएफ को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया. उस वक्त जारी की गई अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा कि 2019 में अस्तित्व में आया टीआरएफ, लश्कर ए तैयबा का छद्म संगठन है. नोटिफिकेशन के मुताबिक, "टीआरएफ आतंकवादी गतिविधियां भड़काने के लिए ऑनलाइन माध्यमों से नौजवानों को भर्ती करता है और यह आतंकी गतिविधियों का प्रोपेगंडा फैलाने, आतंकियों की भर्ती करने, आतंकवादियों की घुसपैठ कराने और पाकिस्तान से जम्मू कश्मीर में हथियार और नशे की तस्करी करने में शामिल रहता है."

भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, सांप्रदायिक हिंसा से भटकाने के इरादे से ही इस संगठन का नाम द रेजिस्टेंस फ्रंट रखा गया है. भारतीय थिंक टैंक, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक, "कश्मीर में बड़े हिंसक हमलों में शामिल होने वाले अन्य आतंकी संगठनों से अलग, टीआरएफ ने अपना ध्यान विशेष लोगों, खासकर अल्पसंख्यकों, गैर स्थानीय लोगों, पुलिस, सुरक्षाकर्मियों और भारत के दूसरे इलाकों से कश्मीर आए लोगों पर केंद्रित किया है."

भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में जम्मू कश्मीर में 172 आतंकवादी मारे गए. इनमें से 108 का संबंध टीआरएफ से बताया गया है. वहीं अप्रैल 2020 से अब तक 25 से ज्यादा हमलों में टीआरएफ का नाम आ चुका है.

क्या चाहता है टीआरएफ

धारा 370 हटाने के बाद बीते कुछ में बरसों में बड़ी संख्या में पर्यटक कश्मीर पहुंच रहे हैं. जम्मू कश्मीर सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 2023 से अब तक 20 लाख से ज्यादा सैलानी कश्मीर पहुंच चुके हैं. भारत ने कश्मीर को चुस्त सड़क ढांचे और रेल नेटवर्क से जोड़ने की कोशिशें भी तेज की हैं. 19 अप्रैल को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जम्मू का दौरा कर जम्मू और कश्मीर को जोड़ने वाली ट्रेन सेवा का उद्घाटन करना था. हालांकि बाद में यह दौरा स्थगित कर दिया गया.

भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, कश्मीर में हिंदुओं, सिखों, प्रवासी कामगारों और पुलिसकर्मियों की हत्या कर टीआरएफ यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि कश्मीर, बाहर के लोगों के लिए कितना खतरनाक है. तटस्थ नाम की वजह से वह अपनी हिंसा को अधिकारों की लड़ाई के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहा है.

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