SC/ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोकसभा में जमकर हंगामा, चिराग पासवान बोले- आरक्षण कोई खैरात नहीं
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोकसभा में जमकर हंगामा (Photo Credit-ANI)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का सरकारी नौकरियों की नियुक्ति में आरक्षण और प्रमोशन में आरक्षण को लेकर दिए फैसले पर सोमवार को संसद में जमकर हंगामा हुआ. एलजेपी नेता और सांसद चिराग पासवान ने कहा कि आरक्षण किसी को मिली हुई खैरात नहीं है, यह संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह मौलिक अधिकार नहीं है. पासवान ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया. इससे पहले रविवार को पासवान ने ममाले में सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए आरक्षण की व्यवस्था पहले की तरह ही बरकरार रखे को कहा था.

लोकसभा में अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अपना दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है. यह अब तक का सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया सबसे दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है. संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है. भारत सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है.

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चिराग पासवान ने किया विरोध-

लोकसभा में हंगामा

लोकसभा में राजनाथ सिंह ने कहा कि सामाजिक न्याय मंत्री इस मामले में बयान देने वाले है और उनके बयान का इंतजार करना चाहिए. वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने कहा कि राष्ट्रवाद की जगह अब सरकार मनुवाद की बात कर रही है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार के वकील गए थे.

राहुल गांधी ने बीजेपी आरएसएस को घेरा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, आरक्षण को खत्म करने की मंशा रखना बीजेपी और आरएसएस के डीएनए में है. उन्होंने कहा बीजेपी और आरएसस कितना भी प्रयास कर ले, लेकिन कांग्रेस एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को खत्म नहीं होने देगी.

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार नौकरी और प्रमोशन में आरक्षण पर फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि राज्यों को कोटा प्रदान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और राज्यों को सार्वजनिक सेवा में कुछ समुदायों के प्रतिनिधित्व में असंतुलन दिखाए बिना ऐसे प्रावधान करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.

वहीं केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि उसका इस आदेश से कोई लेना-देना नहीं है. केंद्र को घेरने के लिए विपक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका उत्तराखंड सरकार ने दाखिल की थी. इस पर केंद्र सरकार ने कहा है कि 2012 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी और उस सरकार ने यह याचिका दायर की थी, मामले का केंद्र सरकार से लेना देना नहीं है.