Nestle, PepsiCo and Unilever: नेस्ले, पेप्सिको और यूनिलीवर जैसी बहुराष्ट्रीय खाद्य कंपनियों को लेकर एक चौंकाने वाला दावा किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि ये कंपनियां भारत जैसे कम आय वाले देशों में घटिया गुणवत्ता वाले उत्पाद बेच रही हैं. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गैर-लाभकारी संगठन एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव (ATNI), ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नेस्ले, पेप्सिको और यूनिलीवर जैसी कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले खाद्य उत्पादों में स्वास्थ्य रेटिंग में कम अंक प्राप्त हुए हैं.
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उच्च-आय वाले देशों में बेचे गए उत्पादों का औसत स्कोर 2.3 था, जबकि निम्न-आय वाले देशों में यह औसत स्कोर घटकर 1.8 रह गया.
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड द्वारा विकसित की गई स्वास्थ्य रेटिंग प्रणाली के अनुसार, 3.5 से ऊपर का स्कोर मिलने पर किसी उत्पाद को स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त माना जाता है. ATNI के रिसर्च डायरेक्टर मार्क वाइजन ने इस मामले पर चिंता जताई और सरकारों से खाद्य सुरक्षा मानकों पर सतर्क रहने की अपील की. उनका कहना है कि यह स्पष्ट है कि इन कंपनियों द्वारा निम्न-आय वाले देशों में बेचे जाने वाले उत्पाद स्वस्थ नहीं हैं. यह विशेष रूप से चिंता का विषय है, क्योंकि इनमें से कई उत्पाद मोटापे, डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं.
भारत में मोटापे की समस्या
भारत में मोटापे की समस्या पिछले कुछ दशकों से लगातार बढ़ रही है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के अनुसार, भारत में 15-49 वर्ष के लगभग 24% पुरुष और 24% महिलाएं अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं. इसके साथ ही, शहरी क्षेत्रों में 5-8% बच्चे और किशोर भी अधिक वजन के शिकार हो रहे हैं.
हालांकि, मोटापे की इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने फिट इंडिया मूवमेंट और ईट राइट इंडिया जैसे अभियानों की शुरुआत की है. इन अभियानों का उद्देश्य स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना और मोटापे से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.