केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स विक्रेताओं की मनमानी पर लगाई रोक
ऑक्सीजन सिलेंडर (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: कोविड महामारी के कारण उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों के परिणामस्वरूप् ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स (Oxygen Concentrators) की अधिकतम खुदरा कीमतों (MRP) में हाल में आई अस्थिरता को देखते हुए सरकार ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की कीमत को विनियमित करने का फैसला लिया है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर एक गैर-अधिसूचित दवा है तथा वर्तमान में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की स्वैच्छिक लाइसेंसिंग ढांचे के अंतर्गत आता है. इसकी कीमत की निगरानी डीपीसीओ 2013 के प्रावधानों के तहत की जा रही है. सरकार द्वारा संग्रहित सूचना के अनुसार, वर्तमान में वितरक के स्तर पर मार्जिन 198 प्रतिशत तक चला गया है.

क्या होता है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हवा को अपने भीतर लेकर उसमें से अन्य गैसों को अलग कर शुद्ध ऑक्सीजन की सप्लाई करता है. जानकारी के मुताबिक एक कंसंट्रेटर एक मिनट में 5 से 10 लीटर ऑक्सीजन सप्लाई कर सकता है. जिन अस्पतालों में ऑक्सीजन सपोर्ट की व्यवस्था नहीं है वहां के लिए यह मशीन काफी फायदेमंद है. घर पर रहकर कोविड का इलाज करा रहे मरीजों के लिए यह ऑक्सीजन पाने का एक अच्छा विकल्प है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को बिजली नहीं रहने पर इनवर्टर से चलाया जा सकता है. यह भी पढ़े: Oxygen Express: पीएम नरेंद्र मोदी ने की ऑक्सीजन एक्सप्रेस की लोको पायलट की सराहना

व्यापार मार्जिन पर 70 प्रतिशत की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई

व्यापक सार्वजनिक हित में डीपीसीओ, 2013 के पैरा 19 के तहत असाधारण शक्तियों को लागू करते हुए एनपीपीए ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स पर वितरक के लिए मूल्य (पीटीडी) स्तर पर व्यापार मार्जिन पर 70 प्रतिशत की अधिकतम सीमा निर्धारित की है। अधिसूचित व्यापार मार्जिन के आधार पर, एनपीपीए ने विनिर्माताओं/आयातकों को तीन दिनों के भीतर संशोधित एमआरपी रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। इससे पहले, फरवरी 2019 में एनपीपीए ने कैंसर-रोधी दवाओं पर व्यापार मार्जिन पर अधिकतम सीमा निर्धारित की थी। एनपीपीए द्वारा एक सप्ताह के भीतर सार्वजनिक रूप से संशोधित एमआरपी की सूचना दे दी जाएगी.

15 प्रतिशत ब्याज दर तथा 100 प्रतिशत तक आर्थिक दंड का है प्रावधान

प्रत्येक रिटेलर, डीलर, अस्पताल और संस्थान विनिर्माता द्वारा प्रस्तुत मूल्य सूची को व्यवसाय परिसर के एक विशेष हिस्से में प्रदर्शित करना होगा. अधिकतम सीमा निर्धारित करने के बाद इसका अनुपालन नहीं करने वाले को विनिर्माता/आयातक अनिवार्य वस्तु अधिनियम, 1955 के साथ पठित औषधि आदेश (मूल्य नियंत्रण), 2013 के प्रावधानों के तहत 15 प्रतिशत ब्याज दर तथा 100 प्रतिशत तक आर्थिक दंड देना होगा। इसका पूरी तरह से अनुपालन हो, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य औषधि नियंत्रक (एसडीसी) की होगी.

30 नवंबर के बाद की जाएगी समीक्षा

यह आदेश 30 नवंबर तक लागू रहेगा, फिर से इसकी समीक्षा की जाएगी. देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बीमारी के मामलों में आई तेजी के साथ, मेडिकल ऑक्सीजन की मांग में भारी बढ़ोतरी हो गई है. सरकार महामारी के दौरान देश में समुचित मात्रा में ऑक्सीजन तथा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास कर रही है.