Kabir Das Jayanti 2025 Quotes: ‘राम रहीम एक है, नाम धराया दोई’, संत कबीर दास के ऐसे प्रेरणादायक दोहे कोट्स के रूप में अपनों संग करें शेयर
कबीर दास जयंती 2025 (Photo Credits: File Image)

Kabir Das Jayanti 2025 Quotes: संत कबीर दास (Sant Kabir Das) की गणना भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में की जाती है. वह एक संत ही नहीं बल्कि समाज सुधारक भी थे, उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज सुधार के कार्यों में लगाया, लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया, लेकिन समाज में व्याप्त आडंबरों को कोसने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. उनकी कविताओं में राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूर्वी एवं ब्रजभाषा की खिचड़ी मिलती है. कबीर भी भगवान राम के भक्त थे, मगर उनके राम कोई और थे. एक दोहे में उन्होंने कहा भी है,

राम रहीम एक है, नाम धराया दोई, कहै कबीर दो नाम सुनि, भरम परो मत कोई.

अर्थात राम और रहीम एक ही ईश्वर के दो नाम हैं. कबीर के अनुसार ये दो नाम सुनकर किसी तरह का भ्रम नहीं होना चाहिए. एक अन्य दोहे में भी उन्होंने दर्शाया है कि जिस परमात्मा की तलाश में हम दर-दर भटकते रहते हैं वह हमारे अंदर है, बस हम अज्ञानवश उसे पत्थरों, मूर्तियों एवं अजानों आदि में देखते तलाशते हैं. कबीर दास जी की जयंती (11 जून 2025) पर यहां उन्हीं द्वारा रचित प्रभावशाली कोट्स दिये जा रहे हैं, जिसे अपने शुभचिंतकों को भेज कर इस महान संत की जयंती को सेलिब्रेट कर सकते हैं.

 ‘बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।‘

अर्थात जब मैं दुनिया में बुराई देखने निकला, तो मुझे कोई भी बुरा इंसान नहीं मिला, लेकिन जब मैंने अपने अंदर झांका, तो पाया कि सबसे बुरा तो मैं खुद ही हूं.

कबीर दास जयंती 2025 (Photo Credits: File Image)

‘साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय। सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।।‘

अर्थात संत ऐसा होना चाहिए जो सार्थक चीजों को ग्रहण करें और निरर्थक को छोड़ दे, जैसे सूप अनाज से भूसी अलग करता है, और अनाज को स्वयं में समेटता है.

कबीर दास जयंती 2025 (Photo Credits: File Image)

‘धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।‘

अर्थात जीवन में हर काम एक तय समय पर ही पूरा होता है, जिस तरह माली पौधे में कितना भी जल्दी या ज्यादा पानी दे, फल तो अपने निर्धारित मौसम आने पर ही लगता है.

कबीर दास जयंती 2025 (Photo Credits: File Image)

 ‘पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।‘

कहने का आशय यह कि किताबी ज्ञान से कोई भी व्यक्ति विद्वान नहीं बन सकता, सच्चा ज्ञान तो इंसान के पवित्र प्रेम और अनुभव में ही निहित है.

कबीर दास जयंती 2025 (Photo Credits: File Image)

‘जिस घट प्रेम न संचरे, सो घट जान मसान। जैसे खाल लुहार की, साँस लेत बिन प्रान।।‘

यहां कबीर दास जी के कहने का आशय है, जिस शरीर में प्रेम नहीं है, वह शरीर श्मशान के समान है. जिस तरह लोहार की सूखी खाल, जो सांस तो लेती है, पर उसे जीवन नहीं कहा जा सकता.

कबीर दास जयंती 2025 (Photo Credits: File Image)

‘साईं इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय, मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय।’

अर्थात परमात्मा आप मुझे इतना दीजिये, जिसमें मेरा तो गुजारा चल जाए, मैं अपना पेट पाल सकूं और आने वाले मेहमानों को भी भोजन करवा सकूं.

कबीर दास जयंती 2025 (Photo Credits: File Image)

‘ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए’

अर्थात व्यक्ति को हमेशा ऐसी बोली बोलनी चाहिए जो सामने वाले को अच्छा लगे और खुद को भी आनंद की अनुभूति हो.

कबीर दास जयंती 2025 (Photo Credits: File Image)

गौरतलब है कि संत कबीर दास जी की जयंती पर उनकी शिक्षाओं, आध्यात्मिकता में योगदान और सामाजिक सद्भाव में उनके योगदान को याद किया जाता है. कबीर दास जी की कविताओं और शिक्षाओं में आंतरिक आध्यात्मिकता, प्रेम, समानता और सामाजिक और धार्मिक बाधाओं को अस्वीकार करने के मूल्य पर जोर दिया गया है. सभी धर्मों और संस्कृतियों के लोग उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होते रहते हैं.