देहरादून: केदारनाथ धाम के यात्रा मार्ग पर बादल फटने से फंसे हजारों तीर्थयात्री को सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासन रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है. वर्तमान समय तक 2200 से अधिक यात्रियों को निकाला जा चुका है. उत्तराखंड के राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) ने शुक्रवार को बताया कि केदारनाथ ट्रेक मार्ग पर अलग-अलग स्थानों पर फंसे 2,300 से अधिक तीर्थयात्रियों को वैकल्पिक मार्ग का उपयोग करके बचाया गया है. भारी बारिश के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त होने के बाद तीर्थयात्री फंस गए थे. सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर मलबा और पत्थर गिरने के कारण बचावकर्मियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
एसडीआरएफ कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया, "अलग-अलग टीमों ने दो किलोमीटर लंबे वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल कर तीर्थयात्रियों को बचाया. 737 लोगों को हेलिकॉप्टरों की मदद से बचाया गया है. बाकी तीर्थयात्रियों को लिनचोली और केदारनाथ हेलीपैड पर लाया जा रहा है."
मणिकांत मिश्रा ने कहा, "यह एक चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान रहा है. मलबे और पत्थर गिरने के कारण सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है." उन्होंने कहा कि वे नई योजना के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं ताकि बचाव अभियान को और अधिक प्रभावी ढंग से चलाया जा सके.
उन्होंने कहा, "दो बैकअप टीमें ऑपरेशन में शामिल हो गई हैं. लिनचोली और केदारनाथ में चार टीमों को तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है."
केदारनाथ ट्रेक मार्ग पर फंसे लोगों को बचाने के लिए भारतीय वायुसेना ने गौचर में चिनूक और एमआई-17वी5 को तैनात किया है.
केदारनाथ विकास प्राधिकरण के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि 15 तीर्थयात्रियों को एमआई17 हेलीकॉप्टर से गौचर ले जाया गया. चिनूक और एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर खराब मौसम के कारण बचाव अभियान के लिए उड़ान भरने में असमर्थ हैं." उन्होंने कहा कि वे मौसम में सुधार होने तक फंसे तीर्थयात्रियों को भोजन के पैकेट उपलब्ध करा रहे हैं.