ट्रंप की टैरिफ नीति से दहला अमेरिका, 2025 के अंत तक अमेरिका में आ सकती है भारी मंदी, JP मॉर्गन की चेतावनी

वॉशिंगटन: वैश्विक वित्तीय दिग्गज जेपी मॉर्गन ने चेतावनी दी है कि अमेरिका 2025 के अंत तक मंदी की चपेट में आ सकता है. इस आशंका का प्रमुख कारण राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में लागू की गई "रेसिप्रोकल टैरिफ" नीति को बताया गया है. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका के व्यापार घाटे वाले देशों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिसमें भारत भी शामिल है.

जेपी मॉर्गन के मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री माइकल फेरोली ने शुक्रवार को जारी एक नोट में लिखा कि अमेरिका की GDP पर इन टैरिफ्स का दबाव पड़ेगा और इसका असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि मंदी की वजह से बेरोजगारी दर बढ़कर 5.3% तक पहुंच सकती है.

फेडरल रिजर्व भी चिंतित

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने भी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि टैरिफ की वजह से अर्थव्यवस्था पर पहले से ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. एक बिजनेस जर्नलिज्म सम्मेलन में बोलते हुए पॉवेल ने कहा, "टैरिफ में बढ़ोतरी अपेक्षा से कहीं ज्यादा बड़ी है. इससे महंगाई बढ़ेगी और विकास दर धीमी होगी."

भारत को झटका, 26% टैरिफ लागू

नई नीति के तहत 5 अप्रैल से सभी आयातों पर 10% टैरिफ लगाया गया है. इसके बाद 9 अप्रैल से उन देशों पर विशेष और ज्यादा टैरिफ लागू किया गया है जिनका अमेरिका के साथ व्यापार घाटा सबसे ज्यादा है – भारत भी उन्हीं में से एक है. भारत के निर्यात पर अब 26% का भारी-भरकम शुल्क लगेगा.

भारतीय व्यापार पर असर कितना?

हालांकि ब्रोकरेज फर्म जेफरीज का मानना है कि इन टैरिफ्स का भारत के कुल निर्यात पर सीमित प्रभाव पड़ेगा. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्र – जैसे आईटी सर्विसेज, फार्मा और ऑटोमोबाइल – इन टैरिफ बढ़ोतरी से सीधे प्रभावित नहीं हैं.

जेफरीज ने कहा, "भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ तुलनात्मक रूप से उचित लग रहा है. लेकिन असली चिंता अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कमजोरी को लेकर है, जो भारतीय आईटी और एक्सपोर्ट सेक्टर के लिए बड़ा खतरा बन सकती है."

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर

ट्रंप प्रशासन की आक्रामक व्यापार नीति ने वैश्विक बाजारों में चिंता की लहर दौड़ा दी है. कंपनियां अब संभावित मंदी और मांग में गिरावट को लेकर सतर्क हो गई हैं. अमेरिका की यह नीति सिर्फ घरेलू स्तर पर नहीं, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और निर्यात पर भी व्यापक असर डाल सकती है.

अमेरिका की नई टैरिफ नीति से भारत जैसे देशों पर दबाव बढ़ेगा, लेकिन असली खतरा अमेरिकी मंदी से है, जो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है. आने वाले समय में भारत को भी अपनी निर्यात रणनीति में लचीलापन लाना होगा ताकि वैश्विक मंदी का असर सीमित रखा जा सके.

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