
लंदन: पाकिस्तान के रक्षा अटैची कर्नल तैयमूर राहत का भारतीय प्रदर्शनकारियों को गला रेतने का इशारा करने वाला वीडियो सामने आने के बाद भारत में और दुनियाभर के भारतीय समुदाय में जबरदस्त रोष फैल गया है. यह शर्मनाक घटना शुक्रवार को लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर हुई, जहां भारतीय प्रवासी समुदाय के लोग पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
वीडियो में कर्नल राहत साफ तौर पर गला रेतने का इशारा करते हुए देखे जा सकते हैं. यही नहीं, उनके हाथ में भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्तमान की तस्वीर वाला एक पोस्टर भी था. गौरतलब है कि फरवरी 2019 में अभिनंदन ने मिग-21 बाइसन से पाकिस्तान का एफ-16 लड़ाकू विमान गिराया था और फिर गलती से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में जा पहुंचे थे. उन्हें दो दिन बाद भारत सरकार के दबाव के चलते रिहा किया गया था.
सोशल मीडिया पर बवाल
वीडियो वायरल होते ही नेटिज़न्स ने कड़ी आलोचना की. राजनीतिक विश्लेषक और वेंचर कैपिटलिस्ट तहसीन पूनावाला ने कहा, "यह व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार और घृणित है. मैंने आज तक किसी भी सैन्य अधिकारी को इतनी हिंसक हरकत करते नहीं देखा."
Pak Army Defence Attache in London gestures towards Indian protestors to slit their throat publicly. This is Colonel Taimur Rahat of Pak Army, Air and Army Attache at Pak’s Mission in UK. No difference b/w a thug illiterate terrorist at this coward.#pahalgamattack pic.twitter.com/ydfXTYUulz
— Universe Updates 🌎 (@UniverseUpdate7) April 26, 2025
एक अन्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ने लिखा, "पाकिस्तान आतंक का कारखाना है और उसके दूतावास असल में आतंकवादी गतिविधियों के लिए खोली गई शाखाएं हैं. दुनिया को यह समझने में वक्त लगेगा."
एक यूज़र ने टिप्पणी की, "गला रेतने का इशारा पाकिस्तान की सैन्य और कूटनीतिक सोच का एक स्पष्ट प्रमाण है. यह कोई अलग घटना नहीं, बल्कि बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर किए जा रहे जुल्मों का प्रतीक है."
भारत-पाकिस्तान में फिर बढ़ा तनाव
इस घटना की पृष्ठभूमि में पहलगाम आतंकी हमला है, जिसमें 26 पर्यटकों और एक स्थानीय घोड़े चालक की आतंकियों ने हत्या कर दी थी. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-आधारित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली थी. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर पांच बिंदुओं वाले प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें सिंधु जल संधि 1960 को निलंबित करना भी शामिल है.