Aditya-L1 Mission: चंद्रयान 3 की सफलता के बाद देश की नजर अब अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 मिशन पर है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से 2 सितंबर को इसका प्रक्षेपण किया गया था. ‘आदित्य एल1’ की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित दूसरी प्रक्रिया मंगलवार तड़के सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई. इसरो ने आदित्य-L1 मिशन पर बड़ा अपडेट दिया है. अपनी लॉन्चिंग के एक दिन बाद रविवार को आदित्य-L1 ने अपनी पहली कक्षा बदली थी. अब मंगलवार को आदित्य-L1 ने कक्षा बदलने की दूसरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया. जारी प्रक्रिया के अनुसार इसे 16 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करनी है, इसके बाद ही वह सूर्य की ओर अपने मार्ग पर बढ़ जाएगा. Chandrayaan-3: प्रज्ञान रोवर के बाद विक्रम लैंडर भी गया स्लीप मोड में, 22 सितंबर को रिएक्टिवेट होने की उम्मीद.
आदित्य-L1 16 दिनों में पांच बार पृथ्वी की कक्षा बदलेगा. इस समय यह यान दूसरी छलांग में 282 किमी के घेरे में 40,225 किमी की दूरी पर स्थित कक्षा में स्थापित हो चुका है. इसरो के मुताबिक, कक्षा संबंधी दूसरी प्रक्रिया को बेंगलुरु स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) से अंजाम दिया गया. इसरो ने बताया कि ‘आदित्य एल1’ की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित तीसरी प्रक्रिया 10 सितंबर, 2023 को भारतीय समयानुसार देर रात लगभग ढाई बजे निर्धारित है,
‘आदित्य एल1’ पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (एल-1) में रहकर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगी. ‘आदित्य एल1’ को लैग्रेंज बिंदु एल-1 की तरफ स्थानांतरण कक्षा में प्रवेश करने से पहले कक्षा संबंधी दो और प्रक्रियाओं से गुजरना होगा. इस उपग्रह के लगभग 127 दिनों के बाद एल-1 बिंदु पर इच्छित कक्षा में पहुंचने की संभावना है.
अंतरिक्ष के मौसम के राज खोलेगा भारत
इसरो के अंतरिक्षयान में सूर्य की बाहरी परतों के अध्ययन के लिए सात पेलोड्स होंगे. इस अभियान के कई लक्ष्यों में से एक अंतरिक्ष के मौसम का अध्ययन भी है. इससे पहले नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी भी सूर्य के अध्ययन के लिए ऐसे ऑबिटर्स भेज चुके हैं. लेकिन भारत के लिए यह पहला ऐसा अभियान होगा.
L1 से सूरज को समझेगा आदित्य
आदित्य एल-1 को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष के एक हिस्से हेलो ऑर्बिट में छोड़ा गया है. इससे यह लगातार सूरज की निगरानी कर सकेगा. इसरो ने बताया, "यह सौर गतिविधियों और अंतरिक्षीय मौसम पर इसके असर का निरीक्षण करने के लिए ज्यादा अनुकूल स्थिति देगा."
क्यों खास है L1 पॉइंट
शुरुआत में अंतरिक्षयान लो अर्थ ऑर्बिट में रखा जाएगा और फिर ऑनबोर्ड प्रोपल्शन का इस्तेमाल करके इसे लेग्रॉन्ज पॉइंट (एल-1) की ओर लॉन्च किया जाएगा. लेग्रॉन्ज पॉइंट्स, अंतरिक्ष की ऐसी जगहें हैं, जहां भेजी गई चीजें स्थिर रहती हैं. इन बिंदुओं पर दो पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल, खिंचाव और विकर्षण का विस्तृत क्षेत्र बनता है. ऐसे में अंतरिक्षयान को अपनी जगह पर बने रहने के लिए कम ईंधन चाहिए होता है.
पांच लेग्रॉन्ज पॉइंट्स में से दो स्थिर और तीन अस्थिर हैं. अस्थिर पॉइंट्स हैं: एल1, एल2 और एल3. एल4 और एल5 स्थिर हैं. एल1 पॉइंट से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है.