ISRO ने चंद्रयान-2 मिशन को सफल बनाने के लिए गोवर्धन मठ का लिया था सहारा, वैदिक मैथ्स का किया इस्तेमाल
चंद्रयान-2 (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को ‘चंद्रयान-2’ (Chandrayaan-2) से ली गई पृथ्वी की तस्वीरों का पहला सेट जारी किया. इस बीच चंद्रयान-2 मिशन में वैदिक गणित (Vedic Mathematics) की अहम भूमिका की बात सामने आई है. बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के लांच में हो रही कुछ दिक्कतों को दूर करने के लिए वैदिक मैथ्स (गणित) का सहारा लिया था.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के लांच से पहले जुलाई महीने में गोवर्धन मठ (Govardhana Matha) के स्वामी निश्चलानंद सरस्वती पुरी शंकराचार्य (Swami Nischalananda Saraswati Puri Shankaracharya) से परामर्श लिया था. ऐसा कुछ संदेहों को दूर करने के लिए किया गया था जिसका समाधान उस समय वैज्ञानिकों के पास भी नहीं था. शंकराचार्य के अनुसार, विष्णु पुराण (Vishnu Puran) और श्रीमद् भागवत गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) में चंद्रमा से जल और पृथ्वी का महत्वपूर्ण संबंध है.

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भारतीय महाकाव्य महाभारत (अठारह पुस्तकों में से छठी) भीष्म पर्व या बुक ऑफ भीष्म के अनुसार चंद्रमा का व्यास 11,000 योजना (1 योजना = लगभग 12.2 किमी) है और इसकी परिधि 33,000 योजना है, जबकि इसकी मोटाई 59 योजना है.

गौरतलब हो कि भारत का दूसरे चंद्रमा अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 पृथ्वी की कक्षा में 22 जुलाई को प्रवेश किया. इसके बाद यान 20 अगस्त तक चंद्रमा पर पहुंच जाएगा. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को भारत के भारी-भरकम रॉकेट जियोसिंक्रिनस सैटेलाइट लांच व्हीकल मार्क-3 के साथ प्रक्षेपित किया गया था.

चंद्रयान-2 में तीन खंड बनाए गए हैं. जिनमें ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड), लैंडर 'विक्रम' (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड) और रोवर 'प्रज्ञान' (27 किलोग्राम, दो पेलोड) शामिल हैं.

आपको बता दें कि चंद्रयान-2 ले जाने वाले जीएसएलवी एमके-3 को पहले 15 जुलाई को उड़ान भरनी थी. मगर एक गंभीर तकनीकी गड़बड़ी के कारण उड़ान को 22 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया था. इसके बाद मिशन के कार्यक्रम में भी बदलाव किए गए थे. पहले चंद्रयान-2 की पृथ्वी चरण की सीमा 17 दिन थी और नए कार्यक्रम के अनुसार यह 23 दिन है. जबकि पहले 54 दिन बाद चंद्रमा पर उतारने की योजना बनाई गई थी, वहीं अब इसकी लैंडिंग 48 दिनों में ही हो जाएगी.