
नई दिल्ली: भारत के नौ बड़े शहरों, जिनमें मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, फरीदाबाद, ग्वालियर, कोटा, लुधियाना, मेरठ और सूरत शामिल हैं, पर बढ़ते हीटवेव (लू) के गंभीर खतरे का खुलासा हुआ है. सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव (SFC) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण इन शहरों में भीषण गर्मी का खतरा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन अब तक इसका सामना करने के लिए दीर्घकालिक समाधान नहीं अपनाए गए हैं. रिपोर्ट में हरित क्षेत्रों (ग्रीन कवर) को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है ताकि शहरी क्षेत्रों की जलवायु सहनशीलता को मजबूत किया जा सके.
इस अध्ययन में किंग्स कॉलेज लंदन और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जैसी प्रमुख संस्थाओं ने भाग लिया है. रिपोर्ट बताती है कि इन शहरों में अभी भी लंबी अवधि की योजनाओं के बजाय आपातकालीन उपायों पर अधिक निर्भरता बनी हुई है. विशेष रूप से मुंबई, जहां की जनसंख्या 1.24 करोड़ से अधिक है, गंभीर गर्मी की लहरों का शिकार हो सकता है, जिससे जीवन के लिए खतरा बढ़ सकता है.
क्यों बढ़ रही गर्मी
मुंबई में हीटवेव का असर बढ़ने के पीछे कई कारण बताए गए हैं, जिनमें सबसे अहम हैं वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण, बढ़ती इमारतें, पानी की कमी और हरियाली की कमी. डॉ. वाई नित्यानंदम के अनुसार, शहर में अत्यधिक शहरीकरण और गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के कारण तापमान तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि, मुंबई के लिए बनाए गए महाराष्ट्र स्टेट हीट एक्शन प्लान जैसे प्रयासों की सराहना की गई है, लेकिन रिपोर्ट में इसे केवल अल्पकालिक समाधान करार दिया गया है, जो हीटवेव के दीर्घकालिक प्रभावों से निपटने में सक्षम नहीं है.
रिपोर्ट में शहरी ताप द्वीप प्रभाव (Urban Heat Island Effect) को भी एक प्रमुख कारण बताया गया है, जिससे इन शहरों में गर्मी का असर और बढ़ जाता है. इस समस्या को कम करने के लिए वृक्षारोपण, जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन और स्मार्ट प्लानिंग की जरूरत बताई गई है. रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन और सरकारों से अनुरोध किया गया है कि वे केवल तत्काल उपायों तक सीमित न रहें, बल्कि दीर्घकालिक और स्थायी योजनाएं बनाएं.
मुंबई महानगरपालिका (BMC) लोगों को हीटवेव से बचने के लिए पानी पीने और सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दे रही है, लेकिन रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर दीर्घकालिक रणनीतियां नहीं अपनाई गईं, तो आने वाले वर्षों में लू से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ सकती है. किंग्स कॉलेज लंदन के आदित्य वालियाथन पिल्लई ने भी इस ओर इशारा करते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन को दीर्घकालिक योजना बनानी चाहिए और कमजोर इलाकों में आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करना चाहिए.