जब कोई राष्ट्रीय राजमार्ग किसी वन्य जीव अभयारण्य से गुजरता है, तो सबसे बड़ा खतरा अभयारण्य में रहने वाले जानवरों के लिए सबसे बड़ा खतरा रहता है. यही कारण है कि जंगलों से बीच से निकलने वाले मार्गों पर रात के वक्त वाहनों की आवाजाही बंद कर दी जाती है. नागपुर-सिवानी राजमार्ग पर जानवरों की सुरक्षा को देखते हुए एलीवेटेड हाईवे बनाया गया है, ताकि जंगली जानवर ओवर-ब्रिज के नीचे से होते हुए जंगल में एक जगह से दूसरी जगह जा सकें.
एक समय था जब राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर के दोनों तरफ रहने वाले वन्य जीव आये दिन सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर 16 किलोमीटर लंबा ओवर-ब्रिज बनाया गया है. अब वाहन ऊपर चलेंगे और जानवर नीचे घूमेंगे. पेंज-नेवगांव वन्य अभयारण्य को बाघों के संरक्षण के लिए जाना जाता है. यह अपने-आप में ऐसा पहला समर्पित कॉरिडोर है.
ब्रिज के नीचे से गुजरने वाले अंडर-पास की सुविधा होने से जानवरों की दुर्घटना से मृत्यु नहीं होगी. साथ ही बाघों की आबादी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. इस कॉरिडोर के चीने से पांच अंडरपास और 4 छोटे पुल हैं. 16 किलोमीटर लंगे इस कॉरिडोर में 6.6 किलोमीटर लंगी सड़क वन्य क्षेत्र से गुजरती है. ब्रिज के नीचे से निकलने वाले जानवरों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए अंडरपास और पुल के नीचे सीसीटीवी कैमरे लगाये गए हैं.
अब तक वन्य जीवों की 18 प्रजातियां अंडरपास का उपयोग करती नज़र आयी हैं. इनमें छोटे स्तनधारी जानवरों की 7 प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें जंगली बिल्ली, नेवले, पाम सिवेट, छोटे भारतीय खरहे, रस्टी स्पॉटेड कैट, भारतीय साही, शामिल हैं. इनके अलावा अंगुलेट प्रजाति के 5 जंगली जनवरों की गतिविधियां सीसीटीवी में कैद हुईं. इनमें चित्तीदार हिरण, गौर, सांभर, नीलगाय और जंगली सुअर शामिल हैं.
भारतीय वन्यजीव संस्थान के डॉ. बिलाल हबीब ने कहा कि 20 हजार किलोमीटर से अधिक लंबाई की संड़के हैं, जो वन्य जीव अभयारण्यों से होकर गुजरती हैं. और ऐसी जगहों पर जानवरों के साथ दुर्घटनाएं आम बात हैं. यह ओवर-ब्रिज एक शुरुआत है, आने वाले समय में ऐसे और उदाहरण देखने को मिलेंगे.