
नई दिल्ली: डीएमके नेता एम. शनमुगम ने शुक्रवार को राज्यसभा में प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया को लेकर चिंता व्यक्त की और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इसे 1997 की जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर किया जाए ताकि तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों के संसद में प्रतिनिधित्व की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने 22 मार्च को चेन्नई में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें कई राज्य नेताओं के शामिल होने की संभावना है. इस बैठक में परिसीमन मुद्दे पर चर्चा होगी.
गृह मंत्रालय के कार्यों पर चर्चा के दौरान भाग लेते हुए, शनमुगम ने गृह मंत्री अमित शाह की 7 मार्च को चेन्नई यात्रा के दौरान दिए गए हालिया बयान पर भी आपत्ति जताई. शाह ने कहा था कि "परिसीमन के बाद तमिलनाडु में लोकसभा सीटों की संख्या में कोई कमी नहीं होगी." शनमुगम के अनुसार, यह बयान समाधान से अधिक भ्रम पैदा करने वाला था.
शनमुगम ने जोर देते हुए कहा कि दक्षिणी राज्यों को इस बात की आशंका है कि यदि परिसीमन नवीनतम जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर किया गया तो उनकी संसदीय सीटों की संख्या में कमी आ सकती है.
#WATCH | Ahead of tomorrow's first Joint Action Committee meeting with various State CM and leaders, Tamil Nadu CM MK Stalin releases a video on delimitation
He says, "Fair delimitation is the talk of the town right now. Why has the DMK brought this to focus? Because in 2026,… pic.twitter.com/Rw9Xnu0eaF
— ANI (@ANI) March 21, 2025
"हमारी मांग है कि यदि लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाई जाती है, तो इसे आनुपातिक आधार पर किया जाना चाहिए. मैं मांग करता हूं कि लोकसभा सीटों की संख्या निर्धारित करने के लिए जनसंख्या आंकड़े 1997 की जनगणना के आधार पर कम से कम अगले 25 वर्षों तक स्थिर रखे जाएं," उन्होंने कहा.
शनमुगम ने यह भी उल्लेख किया कि केंद्र सरकार अब तक जनगणना प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाई है और उन्होंने केंद्र पर दक्षिणी राज्यों के खिलाफ भेदभाव करने का आरोप लगाया, जिन्होंने परिवार नियोजन नीतियों का पालन किया है. उन्होंने चिंता जताई कि इस तरह की नीति दक्षिणी राज्यों को परिसीमन प्रक्रिया में अनुचित रूप से नुकसान पहुंचाएगी.
परिसीमन के अलावा, शनमुगम ने सरकार द्वारा हिंदी के थोपे जाने पर भी असंतोष व्यक्त किया, विशेष रूप से 2023 में ब्रिटिश युग के तीन आपराधिक कानूनों के स्थान पर नए कानूनों के शीर्षकों में संस्कृत के उपयोग को लेकर.
उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत अल्पसंख्यक मुसलमानों और श्रीलंकाई शरणार्थियों को शामिल करने की भी मांग की और सरकार से जम्मू-कश्मीर को इस वर्ष पूर्ण राज्य का दर्जा देने के अपने वादे को पूरा करने का आग्रह किया.
डीएमके नेता ने केंद्र सरकार पर गैर-भाजपा शासित राज्यों जैसे तमिलनाडु के साथ "सौतेला व्यवहार" करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने आपदा प्रबंधन के लिए 36,000 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने केवल 270 करोड़ रुपये आवंटित किए.
उन्होंने पुलिस आधुनिकीकरण के लिए अपर्याप्त धनराशि प्रदान करने के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की और पुलिस कर्मियों के लिए बेहतर कार्य स्थितियों की मांग की.
शनमुगम ने गृह मंत्रालय द्वारा 2023-24 और 2023-25 के लिए पुलिस आधुनिकीकरण हेतु आवंटित बजट के अधूरे उपयोग की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और इस बजट का प्रभावी उपयोग कर पुलिस बल के कार्यों में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया.