मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के भीड़दड़वाड़ गांव में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, जो हर साल गोवर्धन पूजा के दिन आयोजित होती है. यह परंपरा न केवल भक्तों के लिए एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण विशेषता भी है.
गायों का महत्व
गोवर्धन पूजा का आयोजन खासतौर पर गायों की पूजा के लिए किया जाता है. भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और उसे बहुत सम्मान दिया जाता है. इस दिन, भक्त अपने घरों में गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और गायों का सम्मान करते हैं. भीड़दड़वाड़ गांव में, लोग इस परंपरा को और भी विशेष बनाते हैं, जहां वे गायों को अपने ऊपर चलने की अनुमति देते हैं.
परंपरा का अनोखा उत्सव
इस परंपरा में, भक्त एक स्थान पर लेट जाते हैं और गायों को उनके ऊपर से गुजरने देते हैं. यह क्रिया विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है, जिससे भक्तों को अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि की उम्मीद होती है. लोग मानते हैं कि अगर गायें उनके ऊपर से चलती हैं, तो इससे उनके सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
#WATCH | Madhya Pradesh: In a unique tradition in the village of Bhidadwad in the Ujjain district, devotees allow cows to walk over them. The tradition is observed on Govardhan Puja, the second day of Diwali. pic.twitter.com/sHFDr2TKNL
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) November 2, 2024
सामुदायिक एकता का प्रतीक
इस परंपरा का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह गाँव के लोगों के बीच सामुदायिक एकता को भी बढ़ावा देती है. लोग एक साथ मिलकर इस अनुष्ठान को मनाते हैं, जिससे उनके बीच भाईचारा और प्रेम बढ़ता है. यह उत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह गांव की सांस्कृतिक पहचान को भी बनाए रखता है.
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा, दिवाली के दूसरे दिन मनाई जाती है, और यह भगवान कृष्ण की महिमा को दर्शाती है. भक्त इस दिन विशेष रूप से भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं. भीड़दड़वाड़ की यह अनोखी परंपरा इस दिन को और भी खास बना देती है.