Govardhan Puja 2022 Messages: भारत और दुनिया भर में हर त्यौहार को बहुत ही उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. ऐसा ही एक त्यौहार है दिवाली. यह एक बहुत बड़ा त्यौहार है. हालांकि, दिवाली पांच दिनों का त्यौहार है, जिसमें से एक दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2024) को समर्पित है. इस दिन को 'अन्नकूट पूजा' के नाम से भी जाना जाता है, और यह भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र देव को हराने का प्रतीक है. इस शुभ दिन पर भक्त भगवान कृष्ण के साथ-साथ गोवर्धन पर्वत की भी पूजा करते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, लोग कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को यह त्यौहार मनाते हैं. गोवर्धन पूजा आमतौर पर प्रकाश के त्यौहार दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है. यह 5 दिवसीय भव्य त्यौहार का चौथा दिन है जो गोवत्स द्वादशी पूजा से शुरू होता है.
हिंदू धर्म के लिए इस त्यौहार का बहुत महत्व है. इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गाय की पूजा करते हैं. गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण को समर्पित त्यौहार है, साथ ही प्रकृति माता के प्रति सम्मान और प्रशंसा व्यक्त करने का त्यौहार भी है. इस दिन, भक्तों को गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पसंदीदा गायों की पूजा करने पर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है. गोवर्धन पूजा के इस बेहद खास अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, कोट्स और एचडी इमेजेस को भेजकर अपनों से हैप्पी गोवर्धन पूजा कर सकते हैं.
1- हर खुशी आपके द्वार आए,
जो आप मांगे उससे अधिक पाएं,
गोवर्धन पूजा में कृष्ण गुण गाए
और ये त्योहार, खुशी से मनाएं.
शुभ गोवर्धन पूजा
2- बंसी की धुन पर,
सबके दुख वो हरता है,
आज भी अपना कन्हैया,
कई चमत्कार करता है.
शुभ गोवर्धन पूजा
3- प्रेम से कृष्ण का नाम जपो,
दिल की हर इच्छा पूरी होगी,
कृष्ण आराधना में तल्लीन हो जाओ,
उनकी महिमा जीवन खुशहाल कर देगी.
शुभ गोवर्धन पूजा
4- जनहित में एक ऊंगली पर,
कन्हैया ने पर्वत को उठाया,
उसी दिन की याद दिलाने,
गोवर्धन पूजा का दिन आया.
शुभ गोवर्धन पूजा
5- चंदन की खुशबू, रेशम का हार,
धूप की सुगंध, दीयों की फुहार,
दिल की उम्मीदें और अपनों का प्यार,
मंगलमय हो आपके लिए ये त्योहार.
शुभ गोवर्धन पूजा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने इस दिन वृंदावन के लोगों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था. परिणामस्वरूप, लोगों ने बड़े उत्साह के साथ गोवर्धन पर्वत की पूजा करना शुरू कर दिया और भगवान कृष्ण को ‘गोवर्धनधारी’ और ‘गिरिधारी’ नाम दिया गया.