कोलकाता: बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित गांवों में एक नई पहल की शुरुआत की है. इस पहल के तहत, BSF ने गांवों के लोगों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए 'गांव समन्वय बैठकों' का आयोजन किया है. इसका मुख्य उद्देश्य सीमा सुरक्षा को मजबूत करना और अवैध घुसपैठ को रोकना है. पश्चिम बंगाल के नदिया और उत्तर 24 परगना जिले जो बांग्लादेश की सीमा से जुड़े हुए हैं वहां BSF ने पंचायत प्रधानों, पंचायत सदस्यों और गांववासियों के साथ बैठकें शुरू की हैं. इन बैठकों का उद्देश्य BSF और स्थानीय समुदायों के बीच संबंधों को मजबूत करना है. Bangladesh Violence: शेख हसीना के करीबी अधिकारियों के इस्तीफे वैध- मोहम्मद यूनुस.
BSF का कहना है कि इन बैठकों का उद्देश्य "BSF और स्थानीय समुदायों के बीच संबंधों को सुदृढ़ करना" है. BSF कंपनी कमांडरों ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की और गांव वासियों से सुरक्षा बनाए रखने और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. यह पहल न केवल सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करेगी बल्कि स्थानीय निवासियों और सुरक्षा बलों के बीच विश्वास और सहयोग को भी बढ़ावा देगी.
BSF के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के जनसंपर्क अधिकारी AK आर्या ने कहा, "ये बैठकें BSF की 68वीं, 05वीं, 85वीं और 102वीं बटालियनों द्वारा आयोजित की गई हैं, जो सीमा पर निवासियों के दिलों और दिमागों को जीतने के निरंतर प्रयासों को दर्शाती हैं, साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और सामुदायिक कल्याण के लिए आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देती हैं."
स्थानीय सहयोग से सीमा सुरक्षा होगी मजबूत
BSF का मानना है कि स्थानीय ग्रामीण सीमा सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. बैठक में ग्रामीणों को यह बताया गया कि रात के समय अंतरराष्ट्रीय सीमा पर धारा 144 के कार्यान्वयन के साथ-साथ अनावश्यक नागरिक आंदोलनों पर प्रतिबंध लागू करना आवश्यक है.
बांग्लादेश की स्थिति
भारत बांग्लादेश की स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है. हाल ही में बांग्लादेश में फैली अशांति और हिंसा के बाद पड़ोसी मुल्क की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और भारत में शरण ली. बांग्लादेश छोड़ने के बाद शेख हसीना फिलहाल दिल्ली में ठहरी हुई हैं. शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद देश का माहौल और ज्यादा बिगड़ गया. इसके बाद अंतरिम सरकार का गठन किया गया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया.