Bangladesh Violence: शेख हसीना के करीबी अधिकारियों के इस्तीफे वैध- मोहम्मद यूनुस
Muhammad Yunus | Instagram

बांग्लादेश में विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को लेकर हसीना सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने वाले छात्रों ने कई शीर्ष अधिकारियों को पद छोड़ने का अल्टीमेटम दिया था, जिसके बाद पिछले कुछ दिन में देश के प्रधान न्यायाधीश, पांच न्यायाधीश और सेंट्रल बैंक के गवर्नर इस्तीफा दे चुके हैं. यूनुस (83) ने रविवार रात को पत्रकारों से कहा, “कानूनी तौर पर... सारे कदम उठाए गए.” उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बहाल करना अंतरिम सरकार की प्राथमिकता है. यूनुस ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश ओबैदुल हसन को ‘जल्लाद’ करार दिया. हसन के इस्तीफे के बाद सैयद रेफात अहमद को रविवार को बांग्लादेश का नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया. विवादास्पद आरक्षण प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले छात्र नेताओं ने इस पद के लिए रेफात के नाम की सिफारिश की थी. पिछले बृहस्पतिवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की कमान संभालने वाले यूनुस ने कहा कि उन्होंने यह पद इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि आंदोलनकारी छात्रों ने उनसे कहा कि वह एकमात्र व्यक्ति हैं, जिन पर वे भरोसा कर सकते हैं.

यूनुस ने कहा, “यह मेरा सपना नहीं है, यह उनका सपना है. इसलिए मैं इसे सच करने में उनकी मदद कर रहा हूं.” यूनुस ने आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों को “छात्रों के नेतृत्व वाली क्रांति” करार दिया और कहा कि उन्होंने अंतरिम सरकार के प्रमुख का पद इसलिए भी स्वीकार किया, क्योंकि “ये वे लोग हैं, जिनके आंदोलन ने सरकार गिरा दी.” यूनुस लंबे समय से हसीना और उनकी सरकार के आलोचक रहे हैं. पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर यूनुस को गरीबों, खासकर महिलाओं की मदद के लिए ग्रामीण बैंक के माध्यम से ‘माइक्रोक्रेडिट’ (लघु ऋण) प्रणाली की शुरुआत करने के वास्ते 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. हसीना के 2008 में सत्ता में आने के बाद यूनुस और उनके ग्रामीण बैंक के खिलाफ कई जांच शुरू की गईं. 2013 में उन पर सरकार की अनुमति के बगैर नोबेल पुरस्कार राशि और एक किताब की रॉयल्टी सहित अन्य राशि प्राप्त करने के आरोप में मुकदमा चलाया गया. यह भी पढ़ें : अमेरिका भारत के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी को और आगे बढ़ाने के लिए आशान्वित : व्हाइट हाउस

हालांकि, यूनुस ने सभी आरोपों को खारिज किया था. उनके समर्थकों ने कहा था कि नोबेल विजेता को हसीना के साथ उनके तल्ख रिश्तों के कारण निशाना बनाया गया. बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के अचानक इस्तीफा देने और देश छोड़कर चले जाने से अस्थिरता की स्थिति पैदा हो गई. देश में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी और यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया. बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करने के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए, जिनमें 300 से अधिक लोगों की जान गई.