मुंबई: बदलापुर स्कूल में चार साल की दो बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण के मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले पर अपनी गहरी नाराजगी जताई और स्थानीय पुलिस तथा स्कूल प्रशासन पर कड़ी आलोचना की. न्यायालय ने सवाल उठाया कि "अगर स्कूल सुरक्षित नहीं हैं, तो शिक्षा के अधिकार पर बात करने का क्या मतलब है?" जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और प्रितिविराज चव्हाण की बेंच ने कहा, "अगर स्कूल सुरक्षित नहीं हैं, तो शिक्षा के अधिकार और अन्य मुद्दों पर बात करने का क्या मतलब है? यहां तक कि चार साल की बच्चियों को भी नहीं बख्शा गया."
पुलिस और स्कूल प्रशासन की लापरवाही
कोर्ट ने इस मामले में पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज करने में देरी और स्कूल प्रशासन द्वारा समय पर घटना की सूचना नहीं देने पर भी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा, "यह केवल एक मामले की बात नहीं है, ऐसे कई मामले हो सकते हैं जो नजरअंदाज हो जाते हैं." जस्टिस चव्हाण ने कहा कि अगर जनता सड़कों पर नहीं उतरेगी तो क्या तब तक जांच नहीं की जाएगी?
क्या है मामला?
मामला 12 और 13 अगस्त का है जब बदलापुर के आदर्श स्कूल में दो मासूम बच्चियों के साथ यौन शोषण हुआ. इस घिनौने अपराध की रिपोर्ट दर्ज कराने में देरी हुई और 16 अगस्त को जाकर एफआईआर दर्ज की गई. कोर्ट ने पुलिस और स्कूल प्रशासन की लापरवाही पर गहरी चिंता व्यक्त की.
SIT का गठन
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है, जिसकी अगुवाई इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस आरती सिंह कर रही हैं. कोर्ट ने SIT से 27 अगस्त तक स्थिति रिपोर्ट मांगी है और इस दौरान पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का पूरा ब्योरा भी मांगा है.
यह घटना न केवल समाज के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी बताती है कि हमारी शिक्षा प्रणाली और सुरक्षा तंत्र में कितनी खामियां हैं. अगर स्कूल जैसे स्थान सुरक्षित नहीं हैं, तो यह सवाल उठता है कि बच्चों का भविष्य और उनका अधिकार किस हद तक सुरक्षित है? जनता को इस मामले में उम्मीद है कि दोषियों को सख्त सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा.