नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी (L K Advani) , मुरली मनोहर जोशी (Murali Manohar Joshi) और अन्य के खिलाफ बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में नौ महीने में फैसला ले लिया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि ट्रायल कोर्ट के जज का कार्यकाल 30 सितंबर को निर्धारित उसकी सेवानिवृत्ति के मद्देनजर बढ़ाया जाएगा. इस तरह से ट्रायल सेवानिवृत्ति की तारीख से कम से कम छह महीने अधिक समय तक चलेगा.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह चाहता है कि विशेष न्यायाधीश इस दिशा में अपना काम जारी रखें, भले ही ट्रायल में दो साल और लग जाएं. शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के साथ परामर्श करने और विशेष न्यायाधीश के कार्यकाल का विस्तार करने के निर्देश दिए. इसके अलावा अदालत ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को चार सप्ताह के अंदर अपने आदेश के अनुपालन के संबंध में एक हलफनामा दायर करने को कहा है. यह भी पढ़े: बाबरी विध्वंस केस: जज ने सुनवाई पूरी करने के लिए मांगा छह महीने का वक्त, SC ने दिया कार्यकाल बढ़ाने का आदेश
Supreme Court today in its order said that the verdict in the Babri Masjid demolition case, involving Bharatiya Janata Party (BJP) leaders, L K Advani, M M Joshi and others must be delivered within nine months from today. pic.twitter.com/CUeq1RlOvO
— ANI (@ANI) July 19, 2019
इस बात पर खास जोर दिया गया है कि मुकदमे को छह महीने में पूरा कर इसके आधार पर अगले तीन महीनों में फैसला सुनाया जाना चाहिए. अयोध्या में स्थित 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद में छह दिसंबर, 1992 को बेकाबू व उत्तेजित हिंदूओं की भीड़ ने तोड़फोड़ की। जब यह हुआ, तब आडवाणी, जोशी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य नेता मौके पर मौजूद थे.
महीने में पूरा कर इसके आधार पर अगले तीन महीनों में फैसला सुनाया जाना चाहिए. अयोध्या में स्थित 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद में छह दिसंबर, 1992 को बेकाबू व उत्तेजित हिंदूओं की भीड़ ने तोड़फोड़ की। जब यह हुआ, तब आडवाणी, जोशी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य नेता मौके पर मौजूद थे.