सीबीआई (CBI) चीफ आलोक वर्मा (Alok Verma) को उनके पद से हटा दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की मैराथन बैठक के बाद वर्मा को गुरुवार को सीबीआई चीफ के पद से हटा दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि 1979 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया. इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले वह सीबीआई के पहले चीफ बन गए हैं. उन्होंने बताया कि वर्मा को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में पदस्थापित किए जाने की संभावना है.
सीवीसी (CVC) की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ आठ आरोप लगाए गए थे. यह रिपोर्ट उच्चाधिकार प्राप्त समिति के समक्ष रखी गई. समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया था. उन्हें सरकार ने करीब दो महीने पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था.
आलोक वर्मा औैर विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगााए थे जिसके बाद उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था. वर्मा ने बुधवार को पदभार पुन: संभालते हुए एम. नागेश्वर राव द्वारा किए गए ज्यादातर तबादले रद्द कर दिए थे. राव वर्मा की अनुपस्थिति में अंतरिम सीबीआई प्रमुख नियुक्त किए गए थे. यह भी पढ़ें- सीबीआई चीफ को बर्खास्त करने को लेकर पीएम मोदी में इतनी हड़बड़ी क्यों हैं- राहुल गांधी
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी गुरुवार को सरकार पर हमला बोला और कहा कि राफेल मामले के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीबीआई प्रमुख अलोक वर्मा को हटाने की जल्दबाजी में हैं. राहुल ने ट्वीट कर कहा, ''प्रधानमंत्री सीबीआई प्रमुख को हटाने की इतनी जल्दबाजी में क्यों हैं ? उन्होंने सीबीआई प्रमुख को चयन समिति के समक्ष अपना पक्ष रखने की अनुमति क्यों नहीं दी?'' उन्होंने कहा, ''जवाब है- राफेल.''
आलोक वर्मा ने 77 दिन बाद सीबीआई निदेशक के रूप मेंअपना कार्यभार बुधवार को संभाल लिया था. वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच की लड़ाई सार्वजनिक होने के बाद केन्द्र सरकार ने अक्टूबर में आदेश जारी कर वर्मा के अधिकार वापस लेकर उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया था. आदेश को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था जिसके बाद वर्मा ने कार्यभार संभाल लिया था. यह भी पढ़ें- शीला दीक्षित को मिली दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान, अजय माकन ने ट्वीट कर दी बधाई
सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजने के केन्द्र के निर्णय को रद्द कर दिया था. हालांकि वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीवीसी की जांच पूरी होने तक उन पर (वर्मा) कोई भी महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने पर रोक लगाई गई थी. वर्मा ने सीबीआई से उन्हें हटाए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. अस्थाना ने भी कथित भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करवाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रूख किया है. इस संबंध में फैसला हाई कोर्ट में लंबित है.