
नई दिल्ली: क्या आपको कभी किसी ने फोन पर यह कहकर डराया है कि आप पर कोई कानूनी केस है और आपको ऑनलाइन ही गिरफ्तार किया जा रहा है? अगर हां, तो सावधान हो जाइए. यह साइबर ठगों का एक नया और खतरनाक तरीका है जिसे 'डिजिटल अरेस्ट' या 'डिजिटल गिरफ्तारी' कहा जा रहा है. इसी धोखे का शिकार होकर बेंगलुरु के एक रिटायर्ड इंजीनियर और उनकी पत्नी ने 4.79 करोड़ रुपये गंवा दिए.
क्या है पूरा मामला?
बेंगलुरु में रहने वाले एक रिटायर्ड इंजीनियर (जो पहले नाइजीरिया में काम करते थे) और उनकी पत्नी को साइबर ठगों ने अपना निशाना बनाया. ठगों ने उन्हें फोन किया और खुद को बड़ी जांच एजेंसी का अधिकारी बताया. उन्होंने दंपति पर मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को सफेद करना) में शामिल होने और क्रेडिट कार्ड के बिल न चुकाने जैसे गंभीर आरोप लगाए.
इसके बाद शुरू हुआ डराने और धमकाने का खेल. ठगों ने दंपति को ढाई महीने तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा. इसका मतलब है कि उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर निगरानी में रखा गया, कहीं आने-जाने से मना किया गया और बाहरी दुनिया से संपर्क लगभग काट दिया गया.
ठगों ने उन्हें CBI और ED (प्रवर्तन निदेशालय) जैसी एजेंसियों की कार्रवाई का डर दिखाया और भरोसे के लिए नकली गिरफ्तारी वारंट भी भेजे. इस डर और दबाव में आकर दंपति ने अलग-अलग किस्तों में ठगों के बताए गए बैंक खातों में कुल 4.79 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए.
पुलिस ने कैसे पकड़ा चोरों को?
जब दंपति को धोखाधड़ी का एहसास हुआ, तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. बेंगलुरु पुलिस ने तेजी से जांच करते हुए दो मुख्य आरोपियों, ईश्वर सिंह और नारायण सिंह चौधरी को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उनके बैंक खातों से 1.08 करोड़ रुपये और 10 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं.
जांच में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई. एक आरोपी तो चोरी के इन पैसों से ऐश करने के लिए श्रीलंका के एक कसीनो (Casino) तक पहुंच गया था. पुलिस ने उसके खिलाफ 'लुक आउट सर्कुलर' जारी किया था, जिससे वह देश से बाहर न जा सके. जैसे ही वह भारत वापस लौटा, उसे एयरपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया गया.
आखिर ये 'डिजिटल गिरफ्तारी' है क्या?
साइबर कानून के विशेषज्ञ बताते हैं कि 'डिजिटल गिरफ्तारी' असल में कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है. यह सिर्फ अपराधियों का एक तरीका है. वे आपको फोन या वीडियो कॉल पर डराते हैं, घबराहट पैदा करते हैं और फिर इसी डर का फायदा उठाकर आपसे पैसे ऐंठ लेते हैं.
याद रखें: भारत के कानून में 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी कोई चीज नहीं है.
सरकार और प्रधानमंत्री की चेतावनी
इस तरह के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों को चेतावनी दी है. उन्होंने साफ कहा है:
- 'डिजिटल अरेस्ट' के धोखे से बचें.
- कानून में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.
- कोई भी सरकारी एजेंसी आपको फोन या वीडियो कॉल पर इस तरह की जांच या गिरफ्तारी के लिए संपर्क नहीं करेगी.
आप कैसे सुरक्षित रह सकते हैं?
- अगर कोई फोन पर खुद को पुलिस, CBI, ED या किसी भी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर धमकाए, तो घबराएं नहीं.
- ऐसी किसी भी कॉल पर भरोसा न करें और उसे तुरंत काट दें.
- किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी निजी जानकारी जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड या बैंक अकाउंट डिटेल्स साझा न करें.
- अगर आपके साथ ऐसा कुछ होता है, तो तुरंत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें.
जागरूक रहकर ही आप इस तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं.