भारत और रूस के बीच हुए 15 समझौते, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कश्मीर मसले पर जताया समर्थन
व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी (Photo Credit- PTI)

व्लादिवोस्तोक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बुधवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के साथ व्यापक बातचीत के बाद कहा कि भारत और रूस किसी भी देश के आंतरिक मामलों में ‘बाहरी दखल’ के खिलाफ हैं. दोनों नेताओं के बीच इस बैठक का उद्देश्य व्यापार, रक्षा, तेल एवं गैस, परमाणु ऊर्जा और समुद्री सम्पर्क जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के नये क्षितिज तलाशना था.

दो दिवसीय यात्रा पर रूस पहुंचे मोदी रूस के पूर्वी सुदूर क्षेत्र की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं. दोनों नेताओं ने 20वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता की. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच दो घंटे तक एक पोत पर अकेले में बातचीत हुई. इसके बाद मोदी ने पुतिन के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम दोनों किसी भी देश के आंतरिक मामले में बाहरी दखल के खिलाफ हैं.’’

मोदी द्वारा किसी देश का नाम लिये बिना की गई यह टिप्पणी जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में आयी है.

भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करना उसका एक आंतरिक मामला है. भारत ने इसके साथ ही पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने की भी सलाह दी है. भारत के पांच अगस्त के इस निर्णय के बाद पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास कर रहा है.

रूस ने जम्मू कश्मीर पर भारत के कदम का समर्थन किया है और कहा है कि दर्जे में परिवर्तन भारतीय संविधान के ढांचे के अनुरूप है.

पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति का संयुक्त प्रेस बयान-

बाद में विदेश सचिव विजय गोखले ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को निर्णय के पीछे का तर्क समझाया और रूस इस मुद्दे पर भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

बाद में जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानून की प्रधानता को रेखांकित किया और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में उल्लेखित उद्देश्यों और सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया जिसमें सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की अमान्यता शामिल है.’’

दोनों नेताओं ने व्यापार एवं निवेश, तेल एवं गैस, खनन, परमाणु ऊर्जा, रक्षा एवं सुरक्षा, वायु एवं समुद्री सम्पर्क, परिवहन आधारभूत ढांचा, हाई..टेक, बाहरी अंतरिक्ष और लोगों के बीच सम्पर्क के क्षेत्र में सहयोग मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.

मोदी ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति पुतिन के साथ आज की बातचीत का उद्देश्य भारत..रूस सहयोग के नये क्षितिज तलाशना था. इसमें व्यापार, सुरक्षा, समुद्री सहयोग और पर्यावरण के संरक्षण के लिए साथ मिलकर काम करने के मौके शामिल हैं.’’

मोदी ने कहा कि चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के बीच पूर्ण स्तरीय समुद्री मार्ग बनाने का एक प्रस्ताव रखा गया.

बयान में कहा गया कि दोनों नेता ‘‘हर संभव तरीके से हमारी रणनीतिक साझेदारी की प्रभावशाली क्षमता तलाशने, उसकी विशेष और विशेषीकृत प्रकृति का प्रदर्शन करने को सहमत हुए जो जटिल अंतरराष्ट्रीय स्थिति में स्थिरता के सहारे के रूप में उभरा है.’’

इसमें कहा गया कि दोनों पक्ष ‘‘भारत-रूस संबंधों को और विस्तारित करने के लिए मजबूत, बहुमुखी व्यापार और आर्थिक सहयोग को आधार के तौर पर प्राथमिकता देते हैं.’’

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान में 11 अरब डालर से बढ़ाकर 2025 तक 30 अरब डालर करने का निर्णय किया.

दोनों पक्षों ने कुडनकुलम में छह परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में से बचे चार के निर्माण की प्रगति की समीक्षा की.

प्रधानमंत्री ने कहा कि रूस भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान..गगनयान के लिए प्रशिक्षित करने में मदद करेगा.

बयान में कहा गया है कि सैन्य..तकनीक में नजदीकी सहयोग भारत..रूस विशेष एवं विशेषाधिकृत सामरिक साझेदारी का एक स्तंभ है. इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने अपने रक्षा सहयोग के उन्नयन की प्रतिबद्धता जतायी जिसमें सैन्य उपकरणों, पुर्जों का संयुक्त विकास एवं उत्पादन बढ़ाना शामिल है.

दोनों ने यह विचार साझा किया कि ‘‘सार्वभौमिक रूप से मान्य सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय कानून के नियमों को नेक नीयती में कार्यान्वयन में दोहरे मानकों या कुछ देशों द्वारा अपनी इच्छा दूसरों पर थोपना शामिल नहीं है.’’

दोनों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार का आह्वान किया जिससे समकालीन वैश्विक वास्तविकताएं प्रतिबिंबित हों. रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया.

बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने विशेष तौर पर एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद निरोधक ढांचे की कार्यक्षमता में सुधार करके खास तौर पर आतंकवाद, अतिवाद, मादक पदार्थ तस्करी, सीमापार संगठित अपराध और सूचना सुरक्षा खतरों से निपटने में प्रभावशीलता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का इरादा जताया .’’

दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कड़ी निंदा की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस बुराई से लड़ने के लिए एकजुट मोर्चे के गठन का आह्वान किया.

बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने आतंकवाद से मुकाबले में दोहरे मानकों के साथ ही राजनीतिक उद्देश्यों के लिए आतंकवादी समूहों के इस्तेमान की अस्वीकार्यता पर जोर दिया.’’

दोनों पक्षों ने बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ की आशंका को लेकर चिंता जतायी और बाह्य अंतरिक्ष का इस्तेमाल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए करने की वकालत की.

दोनों पक्षों ने वैश्विक परमाणु अप्रसार को और मजबूत करने के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहरायी. रूस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के लिए भारत की सदस्यता का मजबूत समर्थन किया.

दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में समावेशी शांति और अफगान नीत और अफगान के स्वामित्व वाले सुलह के प्रति अपना समर्थन जताया.

दोनों पक्षों ने एशिया और प्रशांत क्षेत्र में समान एवं अविभाज्य सुरक्षा ढांचा निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी.

दोनों पक्षों ने रक्षा, वायु एवं समुद्री सम्पर्क, ऊर्जा, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम और व्यापार जैसे क्षेत्रों में 15 समझौतों या सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किये. पुतिन ने कहा कि भारत रूस के प्रमुख साझेदारों में से एक है.