देश की खबरें | सुविधा स्टोर को 24 घंटे खुले रहने से नहीं रोकता कानून : अदालत

मुंबई, एक अप्रैल बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि चौबीस घंटे खुली रहने वाली किराना दुकानें ग्राहकों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद हैं और कानून के तहत उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अदालत ने पुणे पुलिस को निर्देश दिया कि वह किसी दुकान को रात 11 बजे तक बंद करने के लिए बाध्य न करे।

न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने कहा कि 24 घंटे एवं सातों दिन सुविधा स्टोर की अवधारणा दुनिया भर में लोकप्रिय है।

फैसले में कहा गया, ‘‘इससे उपभोक्ताओं को खरीदारी करने में सुविधा, आसानी और लचीलापन मिलेगा, विशेषकर उन लोगों को जिनके काम के घंटे असामान्य होते हैं।’’

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा माना जाता है कि इससे उपभोक्ता खर्च में वृद्धि के साथ-साथ अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा होने से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, जो हमारे जैसे बड़े देश के लिए महत्वपूर्ण है, जहां बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती है।’’

पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इन लाभों को स्वीकार करते हुए तथा वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रगति हासिल करने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा ऐसे स्टोर के संचालन के समय पर कोई पाबंदी नहीं लगा ई गई है।

यह आदेश एक्सेलरेट प्रोडक्ट्स वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर आया, जो पुणे के हडपसर क्षेत्र में ‘द न्यू शॉप’ चलाती है।

याचिका में दावा किया गया कि स्थानीय पुलिस अवैधानिक और मनमाने तरीके से कंपनी को रात 11 बजे तक दुकान बंद करने के लिए कह रही है, जबकि ऐसा कोई कानून नहीं है कि कोई सुविधा स्टोर रात में संचालित नहीं हो सकता।

न्यायाधीशों ने कहा कि महाराष्ट्र दुकान एवं प्रतिष्ठान (सेवा विनियमन एवं सेवा शर्तें) अधिनियम के तहत सुविधा स्टोर के 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन संचालित होने पर कोई ‘‘प्रतिबंध’’ नहीं है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि ये प्रतिबंध केवल हुक्का बार, परमिट रूम, डांस बार और/या शराब परोसने वाले रेस्तरां जैसे प्रतिष्ठानों के लिए हैं।

पीठ ने कहा कि 2020 में सरकार ने सिनेमा हॉल को 24 घंटे संचालित करने की अनुमति दी थी, ‘‘इस प्रकार, स्पष्ट रूप से पुलिस द्वारा याचिकाकर्ता पर दुकान संचालित करने पर कोई प्रतिबंध लगाने का कोई औचित्य नहीं है।’’

अदालत ने पुलिस और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कंपनी को रात 11 बजे के बाद अपनी दुकान बंद करने के लिए मजबूर न करें।

पुणे पुलिस ने याचिका पर अपने जवाब में स्पष्ट किया कि समय की पाबंदी को लेकर ‘‘गलतफहमी’’ हुई थी और याचिकाकर्ता को वैध गतिविधि करने से रोकने का कोई इरादा नहीं था।

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