Kathua Gang Rape-Murder Case: उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित बालिग के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

जम्मू/नयी दिल्ली, 8 जनवरी : जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) पुलिस की अपराध शाखा ने 2018 में कठुआ में आठ साल की बच्ची के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या से जुड़े एक मामले में शुभम संगरा के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोपपत्र दाखिल कर दिया है जिसे उच्चतम न्यायालय ने बालिग घोषित किया था. इस मुकदमे के पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट में शुरू होने की उम्मीद है जैसा कि 2018 में उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था. अपराध शाखा ने हत्या, दुष्कर्म, अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने समेत विभिन्न आरोपों में अपना आरोपपत्र कठुआ में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दाखिल कर दिया. आरोपपत्र कठुआ में सत्र अदालत को सौंपा गया जिसने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तारीख तय की है.

उच्चतम न्यायालय के 2018 के आदेश के अनुसार, पठानकोट की सत्र अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी और अपीलीय अदालत पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय होगी. अपराध शाखा द्वारा उच्चतम न्यायालय के 22 नवंबर के आदेश की अनुपालना करते हुए संगरा को बाल सुधार गृह से नियमित कठुआ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था . इसी आदेश में शीर्ष अदालत ने उसे वयस्क घोषित किया गया था. अपराध शाखा के आरोपपत्र में संगरा के इस जघन्य अपराध में कथित संलिप्तता के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसने कहा कि संगरा आठ साल की बच्ची को बेहोशी की दवा की अधिक खुराक जबरन देने के लिए जिम्मेदार था, जिससे बच्ची यौन हमले के साथ ही हत्या का विरोध करने में "अक्षम" हो गई. यह भी पढ़ें :Stray Dogs Attack: बदायूं में आवारा कुत्तों के झुंड ने 27 भेड़ों को मार डाला, 22 को घायल किया

आरोपपत्र में एक चिकित्सा विशेषज्ञ के हवाले से कहा गया था, "उसे 11 जनवरी, 2018 को जबरदस्ती 0.5 मिलीग्राम क्लोनज़ेपम की पांच गोलियां दी गईं, जो सुरक्षित चिकित्सीय खुराक से अधिक है. इसके बाद और अधिक गोलियां दी गईं ... ओवरडोज के संकेतों और लक्षणों में उनींदापन, भ्रम, धीमी सजगता, धीमी सांस या सांस लेना बंद कर देना, कोमा (चेतना का नुकसान) और मृत्यु तक शामिल हो सकता है. " डॉक्टरों की राय थी कि बच्ची को दी जाने वाली ये गोलियां उसे सदमे या कोमा की स्थिति में धकेल सकती थीं. तीन अन्य आरोपियों - सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा - को अपराध पर पर्दा डालने के लिए सबूत नष्ट करने का दोषी ठहराया गया और पांच साल की जेल और प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. वे पैरोल पर बाहर हैं. सातवें आरोपी सांजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया गया.