
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने भारत और चीन की सेनाओं के बीच लगभग एक महीने से चले आ रहे गतिरोध के संदर्भ में मंगलवार (2 जून) को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिको की गुस्ताखी से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. सिंह ने कहा कि भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच छह जून को बैठक निर्धारित है.
इसके साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटेगा. पूर्वी लद्दाख में संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चीनी वहां तक आ गए हैं जिसका वे अपना क्षेत्र होने का दावा करते हैं, जबकि भारत का मानना है कि यह उसका क्षेत्र है. इन क्षेत्रों के बारे में भारत का कहना है कि ये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की तरफ हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन को मुद्दे पर गंभीरता से सोचना चाहिए जिससे कि इसका जल्द समाधान हो सके. एलएसी पर पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लगभग एक महीने से तनातनी चली आ रही है. दोनों देश विवाद के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बात कर रहे हैं.
सिंह ने कहा, ‘‘डोकलाम विवाद का समाधान कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के माध्यम से हुआ था. हमने इस तरह की स्थितियों का विगत में भी इसी तरह का समाधान पाया है. मौजूदा मुद्दे के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है.’’
भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति के बारे में सिंह ने कहा, ‘‘भारत किसी देश के गौरव को नुकसान नहीं पहुंचाता और साथ ही वह अपने गौरव को नुकसान पहुंचाने के किसी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करता.’’
पैगोंग त्सो के आसपास फिंगर इलाके में एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण के अलावा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी के बीच भारत के सड़क निर्माण पर चीन के कड़े विरोध के बाद गतिरोध शुरू हुआ.
चीन भी फिंगर इलाके में एक सड़क बना रहा है जो भारत को स्वीकार्य नहीं है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने चीनी सेना के आक्रामक हाव-भाव वाले क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने के लिए सैनिकों, वाहनों और तोपों सहित कुमुक भेजी हैं.
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी जब पांच मई की शाम चीन और भारत के क�