Facebook ने अपना कॉरपोरेट नाम बदलने का फैसला किया: क्या हैं इस कदम के मायने?

फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने घोषणा की है कि कंपनी ने अपना कॉरपोरेट नाम बदलकर 'मेटा' करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि यह कदम इस तथ्य को दर्शाता है कि कंपनी सोशल मीडिया मंच (जिसे अभी भी फेसबुक कहा जाएगा) की तुलना में बहुत व्यापक है. यह कदम कंपनी और मार्क जुकरबर्ग द्वारा 'मेटावर्स' पर कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद उठाया गया है.

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Facebook ने अपना कॉरपोरेट नाम बदलने का फैसला किया: क्या हैं इस कदम के मायने?

फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने घोषणा की है कि कंपनी ने अपना कॉरपोरेट नाम बदलकर 'मेटा' करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि यह कदम इस तथ्य को दर्शाता है कि कंपनी सोशल मीडिया मंच (जिसे अभी भी फेसबुक कहा जाएगा) की तुलना में बहुत व्यापक है. यह कदम कंपनी और मार्क जुकरबर्ग द्वारा 'मेटावर्स' पर कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद उठाया गया है.

एजेंसी न्यूज Bhasha|
Facebook ने अपना कॉरपोरेट नाम बदलने का फैसला किया: क्या हैं इस कदम के मायने?
Facebook (Photo Credits : Pixabay)

सिडनी, 29 अक्टूबर : फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने घोषणा की है कि कंपनी ने अपना कॉरपोरेट नाम बदलकर 'मेटा' करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि यह कदम इस तथ्य को दर्शाता है कि कंपनी सोशल मीडिया मंच (जिसे अभी भी फेसबुक कहा जाएगा) की तुलना में बहुत व्यापक है. यह कदम कंपनी और मार्क जुकरबर्ग द्वारा 'मेटावर्स' पर कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद उठाया गया है. आभासी वास्तविकता (वीआर) और संवर्धित वास्तविकता (एआर) जैसी तकनीकों का उपयोग करके वास्तविक और डिजिटल दुनिया को और अधिक निर्बाध रूप से एकीकृत करने के विचार को मेटावर्स कहा जाता है. जुकरबर्ग ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मेटावर्स एक नया ईकोसिस्टम होगा, जिससे कंटेंट तैयार करने वालों के लिये लाखों नौकरियां सृजित होंगी. हालांकि आलोचकों का कहना है कि यह हाल में फेसबुक पेपर्स से दस्तावेज लीक होने से उत्पन्न विवाद से ध्यान भटकाने का एक प्रयास हो सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह जनसंपर्क की एक कवायद मात्र है, जिसमें जुकरबर्ग कई साल से जारी विवादों के बाद फेसबुक को नए रंग-रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं या फिर यह कंपनी को सही दिशा में स्थापित करने की एक कोशिश है जिसे वह कंप्यूटिंग के भविष्य के रूप में देखते हैं?

मेटावर्स की दुनिया में फेसबुक का सफर

एक तथ्य जिसपर चर्चा नहीं की जा रही है यह है कि फेसबुक ने साल 2014 में ही दो अरब अमेरिकी डॉलर में वीआर हेडसेट कंपनी 'ऑक्यूलस' का अधिग्रहण कर लिया था, जिसके साथ ही कॉर्पोरेट अधिग्रहण, निवेश और अनुसंधान का सिलसिला शुरू हो गया था और आज जो हम देख रहे हैं वह पिछले सात साल की कवायद का परिणाम है. ऑक्यूलस एक आकर्षक किकस्टार्टर (रचनात्मक परियोजनाओं के लिए एक वित्त पोषण मंच) अभियान के तौर पर उभरा था, और इसके कई समर्थक "गेमिंग के भविष्य" को लेकर उनके विचार को सिलिकॉन वैली में खास तवज्जो नहीं मिलने से नाराज थे, लिहाज जब उन्हें लगा कि फेसबुक उनके विचारों को आगे ले जाने का एक बेहतर मंच साबित हो सकता है तो कंपनी को फेसबुक को बेच दिया गया. फेसबुक के अधीन ऑक्यूलस ने वीआर बाजार में प्रभुत्व कायम किया और इस बाजार में उसकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से अधिक हो गई. इसका श्रेय कंपनी को फेसबुक के विज्ञापन कारोबार से मिलने वाली भारी रियायत और मोबाइल "क्वेस्ट" वीआर हेडसेट के साथ उसके समन्वय को दिया जाता है. यह भी पढ़ें : Facebook Changes Its Name To Meta: फेसबुक ने कंपनी का नाम ‘मेटा’ किया

ऑक्यूलस के अलावा भी फेसबुक ने वीआर और एआर में भारी निवेश किया. फेसबुक रिएलिटी लैब्स की छत्रछाया में संगठित, इन तकनीकों पर लगभग 10,000 लोग काम कर रहे हैं. इनमें से फेसबुक के कर्मचारियों की संख्या 20 प्रतिशत है. पिछले हफ्ते, फेसबुक ने अपने मेटावर्स कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म पर काम करने के लिए यूरोपीय संघ में 10,000 और डेवलपर्स को नियुक्त करने की योजना की घोषणा की थी. इस तरह मेटावर्स की दुनिया में प्रभुत्व जमाने की फेसबुक की योजना कोई नयी नहीं है. कंपनी इस पर पहले से ही काम कर रही थी. यह भी पढ़ें : DDCA: रोहन जेटली अध्यक्ष बने रहेंगे, सिद्धार्थ ने सचिव पद के लिए तिहारा को पछाड़ा

मेटावर्स की दुनिया में प्रभुत्व क्यों कायम करना चाहती है फेसबुक?

हम सोशल मीडिया के मौजूदा दृष्टिकोण को देखकर मेटावर्स को लेकर फेसबुक के दृष्टिकोण का अनुमान लगा सकते हैं. इसने हमारे डेटा का इस्तेमाल कर हमारे ऑनलाइन जीवन को ताकत, नियंत्रण और निगरानी के आधार पर राजस्व की धारा से जोड़ दिया है. यानी आप अपना डेटा कंपनी को दीजिए और बदले में कंपनी आपको राजस्व प्राप्त करने का मंच प्रदान करेगी. ऐसे में मेटावर्स की दुनिया में पैर जमाकर फेसबुक अपने उपभोक्ताओं को किसी न किसी तरह से अपने साथ जोड़े रखना चाहती है.

वीआर और एआर हेडसेट उपयोगकर्ता और उनके परिवेश के बारे में भारी मात्रा में डेटा एकत्र करते हैं. यह इन उभरती प्रौद्योगिकियों के आसपास के प्रमुख नैतिक मुद्दों में से एक है, और संभवतः फेसबुक के स्वामित्व और विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान भी है. लिहाजा, कंs-corporate-name-what-does-this-move-meanr-1075957.html&text=Facebook+%E0%A4%A8%E0%A5%87+%E0%A4%85%E0%A4%AA%E0%A4%A8%E0%A4%BE+%E0%A4%95%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%9F+%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE+%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A4%A8%E0%A5%87+%E0%A4%95%E0%A4%BE+%E0%A4%AB%E0%A5%88%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%BE+%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%3A+%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE+%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82+%E0%A4%87%E0%A4%B8+%E0%A4%95%E0%A4%A6%E0%A4%AE+%E0%A4%95%E0%A5%87+%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A8%E0%A5%87%3F&via=LatestlyHindi ', 650, 420);" title="Share on Twitter">

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Facebook ने अपना कॉरपोरेट नाम बदलने का फैसला किया: क्या हैं इस कदम के मायने?
Facebook (Photo Credits : Pixabay)

सिडनी, 29 अक्टूबर : फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने घोषणा की है कि कंपनी ने अपना कॉरपोरेट नाम बदलकर 'मेटा' करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि यह कदम इस तथ्य को दर्शाता है कि कंपनी सोशल मीडिया मंच (जिसे अभी भी फेसबुक कहा जाएगा) की तुलना में बहुत व्यापक है. यह कदम कंपनी और मार्क जुकरबर्ग द्वारा 'मेटावर्स' पर कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद उठाया गया है. आभासी वास्तविकता (वीआर) और संवर्धित वास्तविकता (एआर) जैसी तकनीकों का उपयोग करके वास्तविक और डिजिटल दुनिया को और अधिक निर्बाध रूप से एकीकृत करने के विचार को मेटावर्स कहा जाता है. जुकरबर्ग ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मेटावर्स एक नया ईकोसिस्टम होगा, जिससे कंटेंट तैयार करने वालों के लिये लाखों नौकरियां सृजित होंगी. हालांकि आलोचकों का कहना है कि यह हाल में फेसबुक पेपर्स से दस्तावेज लीक होने से उत्पन्न विवाद से ध्यान भटकाने का एक प्रयास हो सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह जनसंपर्क की एक कवायद मात्र है, जिसमें जुकरबर्ग कई साल से जारी विवादों के बाद फेसबुक को नए रंग-रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं या फिर यह कंपनी को सही दिशा में स्थापित करने की एक कोशिश है जिसे वह कंप्यूटिंग के भविष्य के रूप में देखते हैं?

मेटावर्स की दुनिया में फेसबुक का सफर

एक तथ्य जिसपर चर्चा नहीं की जा रही है यह है कि फेसबुक ने साल 2014 में ही दो अरब अमेरिकी डॉलर में वीआर हेडसेट कंपनी 'ऑक्यूलस' का अधिग्रहण कर लिया था, जिसके साथ ही कॉर्पोरेट अधिग्रहण, निवेश और अनुसंधान का सिलसिला शुरू हो गया था और आज जो हम देख रहे हैं वह पिछले सात साल की कवायद का परिणाम है. ऑक्यूलस एक आकर्षक किकस्टार्टर (रचनात्मक परियोजनाओं के लिए एक वित्त पोषण मंच) अभियान के तौर पर उभरा था, और इसके कई समर्थक "गेमिंग के भविष्य" को लेकर उनके विचार को सिलिकॉन वैली में खास तवज्जो नहीं मिलने से नाराज थे, लिहाज जब उन्हें लगा कि फेसबुक उनके विचारों को आगे ले जाने का एक बेहतर मंच साबित हो सकता है तो कंपनी को फेसबुक को बेच दिया गया. फेसबुक के अधीन ऑक्यूलस ने वीआर बाजार में प्रभुत्व कायम किया और इस बाजार में उसकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से अधिक हो गई. इसका श्रेय कंपनी को फेसबुक के विज्ञापन कारोबार से मिलने वाली भारी रियायत और मोबाइल "क्वेस्ट" वीआर हेडसेट के साथ उसके समन्वय को दिया जाता है. यह भी पढ़ें : Facebook Changes Its Name To Meta: फेसबुक ने कंपनी का नाम ‘मेटा’ किया

ऑक्यूलस के अलावा भी फेसबुक ने वीआर और एआर में भारी निवेश किया. फेसबुक रिएलिटी लैब्स की छत्रछाया में संगठित, इन तकनीकों पर लगभग 10,000 लोग काम कर रहे हैं. इनमें से फेसबुक के कर्मचारियों की संख्या 20 प्रतिशत है. पिछले हफ्ते, फेसबुक ने अपने मेटावर्स कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म पर काम करने के लिए यूरोपीय संघ में 10,000 और डेवलपर्स को नियुक्त करने की योजना की घोषणा की थी. इस तरह मेटावर्स की दुनिया में प्रभुत्व जमाने की फेसबुक की योजना कोई नयी नहीं है. कंपनी इस पर पहले से ही काम कर रही थी. यह भी पढ़ें : DDCA: रोहन जेटली अध्यक्ष बने रहेंगे, सिद्धार्थ ने सचिव पद के लिए तिहारा को पछाड़ा

मेटावर्स की दुनिया में प्रभुत्व क्यों कायम करना चाहती है फेसबुक?

हम सोशल मीडिया के मौजूदा दृष्टिकोण को देखकर मेटावर्स को लेकर फेसबुक के दृष्टिकोण का अनुमान लगा सकते हैं. इसने हमारे डेटा का इस्तेमाल कर हमारे ऑनलाइन जीवन को ताकत, नियंत्रण और निगरानी के आधार पर राजस्व की धारा से जोड़ दिया है. यानी आप अपना डेटा कंपनी को दीजिए और बदले में कंपनी आपको राजस्व प्राप्त करने का मंच प्रदान करेगी. ऐसे में मेटावर्स की दुनिया में पैर जमाकर फेसबुक अपने उपभोक्ताओं को किसी न किसी तरह से अपने साथ जोड़े रखना चाहती है.

वीआर और एआर हेडसेट उपयोगकर्ता और उनके परिवेश के बारे में भारी मात्रा में डेटा एकत्र करते हैं. यह इन उभरती प्रौद्योगिकियों के आसपास के प्रमुख नैतिक मुद्दों में से एक है, और संभवतः फेसबुक के स्वामित्व और विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान भी है. लिहाजा, कंपनी चाहती है कि वह किसी भी तरह से प्रौद्योगिकी के लिहाज से पुरानी न पड़े, इसलिये वह मेटावर्स की दुनिया में प्रभुत्व कायम रखना चाहती है.

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