नयी दिल्ली, 8 मई : दूरसंचार विभाग ने कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए वीसैट, सैटेलाइट टेलीफोनी जैसी अंतरिक्ष खंड का इस्तेमाल करने वाली उन सभी सेवाओं पर लगने वाला नेटवर्क परिचालन एवं नियंत्रण केंद्र (एनओसीसी) शुल्क खत्म कर दिया है जिनके लिए विभाग परमिट जारी करता है. इससे पहले तक विभाग एनओसीसी शुल्क के रूप में 36 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए प्रतिवर्ष प्रति ट्रांसपोंडर 21 लाख रुपये वसूलता था. इसके अलावा विभाग एंटीना के प्रत्येक परीक्षण के लिए भी 6,000 रुपये का एनओसीसी शुल्क लेता था.
विभाग ने छह मई के आदेश में कहा, ‘‘वाणिज्यिक या निजी उपयोग वाली वीसैट सेवाओं, जीएमपीसीएस (सैटेलाइट फोन सेवा), एनएलडी (नेशनल लॉन्ग डिस्टेंस) के लिए दूरसंचार के लाइसेंसधारकों और संयुक्त लाइसेंस अथवा एकल लाइसेंसधारकों से अब अंतरिक्ष खंड का उपयोग करने के बदले में कोई एनओसीसी शुल्क नहीं लिया जाएगा. यह आदेश एक अप्रैल, 2022 से प्रभावी माना जाएगा.’’ यह भी पढ़ें : अन्ना यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ोतरी का पन्नीरसेल्वम ने किया विरोध
सैटेलाइट उद्योग की संस्था आईएसपीए के महानिदेशक ए के भट्ट ने कहा, ‘‘यह प्रगतिशील नीतिगत कदम सही दिशा में है और यह डिजिटल संचार की वृद्धि को समर्थन देने की सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाता है. ’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि यह क्षेत्र में सुधारात्मक उपायों की शुरुआत करने वाला कदम होगा.