
2024 में श्रीलंका में हुए राष्ट्रपति चुनावों के बाद मोदी पहली बार श्रीलंका के दौरे पर जा रहे हैं. वो तीन दिन श्रीलंका में रहेंगे और इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायका के कार्यकाल को शुरू हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं. मोदी दिसानायका के कार्यकाल में आधिकारिक दौरे पर श्रीलंका जाने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय नेता हैं.
राष्ट्रपति बनने के बाद दिसंबर, 2024 में दिसानायका अपने पहले अंतरराष्ट्रीय दौरे पर भारत आए थे. मोदी की यह चौथी श्रीलंका यात्रा है. इससे पहले वह 2019 में श्रीलंका गए थे.
मोदी ने गुरुवार तीन अप्रैल को एक वक्तव्य में कहा कि वो राष्ट्रपति दिसानायका की "भारत की अत्यधिक सफल यात्रा के बाद" श्रीलंका जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा के दौरान दोनों नेताओं को 'साझा भविष्य के लिए साझेदारी को प्रोत्साहन देने के संयुक्त दृष्टिकोण पर हुई प्रगति की समीक्षा करने' और 'साझा उद्देश्यों को साकार करने के लिए आगे मार्गदर्शन प्रदान करने का अवसर मिलेगा.'
क्या है एजेंडा
श्रीलंका को अपने करीब लाने की चीन की लगातार कोशिशों के बीच मोदी की तीन दिनों की श्रीलंका यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है. दक्षिण एशिया के इन दोनों नेताओं के दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रोंमें सहयोग और मजबूत करने पर ज्यादा ध्यान देने की संभावना है.
शनिवार पांच अप्रैल को दोनों नेताओं के बीच बातचीत होगी. उम्मीद की जा रही है कि उसके बाद दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं. श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन पर भी एक समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दोनों नेता बिजली, रेलवे और अन्य क्षेत्रों में ऐसी कई परियोजनाओं की शुरुआत भी करेंगे जो श्रीलंका में भारत के सहयोग से चल रही हैं. मोदी देश के और भी कई नेताओं से मिल सकते हैं.
उम्मीद की जा रही है कि मोदी और दिसानायका ऐतिहासिक शहर अनुराधापुरा भी जाएंगे और वहां स्थित महाबोधि मंदिर के दर्शन करेंगे. यहां के महाबोधि पेड़ को उस बोधि पेड़ का अंश माना जाता है जिसके नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. माना जाता है कि यह पेड़ 2,300 सालों से भी ज्यादा पुराना है.
मोदी की यात्रा के बारे में बताते हुए भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कुछ दिनों पहले कहा था कि श्रीलंका भारत की "पड़ोसी पहले" नीति का अभिन्न अंग है और यह रिश्ता वक्त की कसौटी पर खरा उतरा है. उन्होंने यह भी कहा था कि मोदी की यात्रा का ध्यान निवेश को बढ़ावा देने और हर तरह की कनेक्टिविटी को और मजबूत करने पर केंद्रित होगा.
मुमकिन है कि यात्रा के दौरान मोदी और दिसानायका के बीच श्रीलंका के मन्नार में अदाणी ग्रीन एनर्जी पावर प्रोजेक्ट पर भी चर्चा हो, जिसे श्रीलंका ने ऊंची शुल्क दरों की वजह से रद्द कर दिया है. इसके अलावा दोनों देशों की समुद्री सीमा में मछुआरों की आवाजाही पर भी बातचीत होने की संभावना है.
श्रीलंका का बड़ा मददगार है भारत
भारत श्रीलंका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से तो है ही, वो श्रीलंका में सबसे बड़े एफडीआई अंशदाताओं में से भी है. सिर्फ 2023 में ही भारत ने श्रीलंका में 19 करोड़ डॉलर से ज्यादा का निवेश किया था.
यह निवेश मुख्य रूप से बिजली, हॉस्पिटैलिटी, रियल एस्टेट, उत्पादन, टेलीकॉम, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में है. भारत की श्रीलंका को दी गई ऋण सहायता लगभग सात अरब डॉलर है. इसके अलावा भारत ने करीब 39 करोड़ डॉलर की अनुदान सहायता भी दी है. 2022 में श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान भारत ने करीब चार अरब डॉलर की सहायता दी थी.