Pakistan HRCP Report 2023: पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने इस सप्ताह की शुरुआत में जारी 2022 में अपनी प्रमुख वार्षिक रिपोर्ट स्टेट ऑफ़ ह्यूमन राइट्स में पिछले साल की राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल पर चिंता व्यक्त की. मानवाधिकार आयोग के मुताबिक पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान और पिछली दोनों सरकारें संसद की सर्वोच्चता का सम्मान करने में विफल रहीं, जबकि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच झगड़े ने संस्थागत विश्वसनीयता को कम कर दिया. ये भी पढ़ें- Pakistan Terror Attack: पाकिस्तान में पुलिस स्टेशन पर आत्मघाती हमले में आठ पुलिसकर्मियों सहित 10 की मौत, 20 घायल
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानूनों को असंतोष को दबाने के लिए हथियार के रूप में पूरे साल राजनीतिक उत्पीड़न जारी रहा. एचआरसीपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिरासत में यातना के दावों के साथ दर्जनों पत्रकारों और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया गया था - विडंबना यह है कि संसद ने यातना के उपयोग को आपराधिक बनाने वाला एक विधेयक पारित किया था.
एचआरसीपी की रिपोर्ट के मुताबिरक इस साल आतंकी हमलों में चिंताजनक बढ़ोत्तरी देखी गई, जो पांच साल में सबसे ज्यादा है. इन हमलों में 533 लोगों की मौत हुई है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के लिए बढ़ता खतरा एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है, इसमें कहा गया है कि जहां ईशनिंदा के आरोपों पर पुलिस रिपोर्टों की संख्या में कमी आई है, वहीं मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं.
अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ता अपराध
पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय विशेष रूप से खतरे में आ गया है. कई पूजा स्थलों और 90 से अधिक कब्रों को उजाड़ दिया गया. एचआरसीपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा बेरोकटोक जारी है, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के कम से कम 4,226 मामलों में वृद्धि हुई है. इसके अतिरिक्त, ट्रांस व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव का पैमाना बढ़ गया है.
मजदूरों को लेकर एचआरसीपी ने कहा कि पाकिस्तान की खदानों में मरने वालों की संख्या भी बहुत अधिक है. एचआरसीपी ने इन मुद्दों पर चिंता जाहिर करते हुए सराकर द्वारा तत्काल कार्रवाई की मांग की है.