![एक्सबी-1 परीक्षण उड़ान में ध्वनि की गति को पार करने में सफल एक्सबी-1 परीक्षण उड़ान में ध्वनि की गति को पार करने में सफल](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2025/01/57857379_403-380x214.jpg)
तकनीक और विज्ञान ध्वनि की गति से चलने वाले विमानों के एक कदम और करीब पहुंच गई है. एक्सबी-1 विमान ने ध्वनि की गति से सफल उड़ान भरी है.यह दुनिया का पहला निजी कंपनी का विमान है जो ध्वनि की रफ्तार की सीमा के पार गया है. एक्सबी-1 प्रोटोटाइप को अमेरिकी कंपनी बूम सुपरसोनिक ने बनाया है. मंगलवार को मोजावे रेगिस्तान के ऊपर, 35,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए यह ध्वनि की गति को पार कर गया. यह परीक्षण विमानन की दुनिया में एक अहम कदम है. बूम सुपरसोनिक ध्वनि की रफ्तार से चलने वाले यात्री विमान बनाना चाहती है. मंगलवार को मिली कामयाबी कंपनी की योजना के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है.
एक्सबी-1 की तकनीक आधुनिक है. इसका डिजाइन एक डेल्टा-विंग रूप में है और इसमें तीन जनरल इलेक्ट्रिक जे85-15 इंजन लगे हैं. ये 1950 के दशक के पुराने टर्बोजेट इंजन हैं. हालांकि अब इन्हें सुपरसोनिक यानी ध्वनि की गति से तेज उड़ान के लिए बेहतर बनाया गया है. इस उड़ान के दौरान, एक्सबी-1 ने माक 1.1 (करीब 1,360 किलोमीटर प्रति घंटा) की गति हासिल, जो ध्वनि की गति से ज्यादा है. उड़ान के बाद, बूम के मुख्य टेस्ट पायलट ट्रिस्टन "गेपेटो" ब्रैंडनबर्ग ने उत्साहित होकर एक वीडियो में कहा, "वह वास्तव में खुशी थी, जब उसने सुपरसोनिक उड़ान भरी... यह अब तक की सबसे बेहतरीन उड़ान थी."
यह उपलब्धि तकनीक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक अहम मुकाम है. कंपनी की योजना है कि एक्सबी-1 को कमर्शियल सुपरसोनिक एयरलाइंस के विमान का एक प्रोटोटाइप माना जाए. कंपनी ने ओवर्चर नाम से एक यात्री विमान की योजना बनाई है. ओवर्चर 64 से 80 यात्रियों को लेकर अटलांटिक को पार करेगा. इसका अनुमानित समय साढ़े तीन घंटे का होगा. फिलहाल इसमें सात घंटे से ज्यादा का समय लगता है.
इस विमान का यह उड़ान मोजावे रेगिस्तान में ही 1947 में चक येगर के ध्वनि की गति के पार जाने की याद दिलाता है. येगर तब बेल एक्स-1 में बैठकर पहली बार ध्वनि की गति पार करने में सफल हुए थे. एक्सबी-1 का इस टेस्ट में सफल होना, पहले की विमानन से जुड़ीं इन योजनाओं को एक श्रद्धांजलि भी है.
सुपरसोनिक एयर ट्रैवल का भविष्य
कंपनी ने कहा कि बूम सुपरसोनिक का एक्सबी-1 सिर्फ एक प्रोटोटाइप नहीं है, बल्कि यह एक परीक्षण प्लेटफॉर्म है, जो सुपरसोनिक एयरलाइनों के लिए जरूरी तकनीकी जानकारियों को परखने का काम करता है. यह विमान भविष्य की कमर्शियल उड़ानों के लिए यात्रा समय को कम करने, ईंधन की दक्षता बढ़ाने और पर्यावरण पर होने वाले असर को कम करने के उपायों पर ध्यान दे रहा है.
एक्सबी-1 का डिजाइन सुपरसोनिक गति के लिए पूरी तरह से अनुकूलित है. इसमें हल्की सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. इसका डेल्टा-विंग डिजाइन हवा के दबाव को अच्छे से संभालता है. इसके साथ ही गति को बनाए रखते हुए ईंधन की खपत घटाता है. विमान की संरचना में हल्के कम्पोजिट सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे हल्का और मजबूत बनाते हैं.
इस विमान में लगे जनरल इलेक्ट्रिक जे85-15 इंजन पहली बार 1950 के दशक में तैयार हुए थे. सुपरसोनिक उड़ान के लिए इन इंजनों में सुधार किया गया है. यही कारण है कि विमान माक 2.2 (2,335 किलोमीटर प्रति घंटा) तक की गति तक पहुंच सका. इन इंजनों का खास मकसद ध्वनि से ज्यादा तेज गति पर विमान को स्थिर रखना और ईंधन की किफायत को भी सुनिश्चित करना है.
सुपरसोनिक उड़ानों का एक बड़ा चैलेंज "सोनिक बूम" है. जब विमान ध्वनि की गति पार करता है, तो जोरदार आवाज होती है. उसे नियंत्रित करना एक मुश्किल काम है. बूम सुपरसोनिक कंपनी ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए तकनीकी सुधारों पर काम किया है. कंपनी का लक्ष्य है कि सुपरसोनिक उड़ानें कम शोर करें और अधिक पर्यावरण-अनुकूल हों. इस दिशा में किए गए प्रयासों से आम नागरिकों और अधिकारियों के बीच सुपरसोनिक उड़ान को मंजूरी दिलाने में मदद मिल सकती है.
ओवर्चर का भविष्य
बूम सुपरसोनिक ओवर्चर विमान को हकीकत बनाने की कोशिश में है. ओवर्चर 65 से 88 यात्रियों यात्रियों को लेकर माक 2.2 तक की गति से उड़ान भर सकेगा. इसके जरिए लंबी दूरी की उड़ानें, जैसे न्यूयॉर्क से लंदन, सिर्फ 3.5 घंटे में पूरी हो सकेगी, जो वर्तमान समय से आधा है.
बूम ने इस सपने को पूरा करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. कंपनी ने हाल ही में उत्तरी कैरोलाइना के ग्रीनबोरो में अपनी ओवर्चर सुपरफैक्ट्री की निर्माण प्रक्रिया पूरी की है. इस फैक्ट्री से 66 ओवर्चर एयरक्राफ्ट सालाना बनाए जाएंगे. इसी दौरान, कंपनी ने कई प्रमुख एयरलाइनों के साथ 130 विमानों के ऑर्डर भी हासिल कर लिए हैं, जिनमें अमेरिकी एयरलाइंस, यूनाइटेड एयरलाइंस और जापान एयरलाइंस शामिल हैं.
आने वाली चुनौतियां
हालांकि, बूम सुपरसोनिक की यात्रा के रास्ते में कई चुनौतियां हैं. आधिकारिक मंजूरी, पर्यावरणीय चिंताएं और तकनीकी खामियां सभी बड़ी बाधाएं हैं. इन समस्याओं से निपटने के लिए, कंपनी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और रोल्स रॉयस जैसे बड़े नामों के साथ साझेदारी कर रही है. नासा सुपरसोनिक उड़ानों के शोर को कम करने की दिशा में भी काम कर रहा है, जबकि रोल्स रॉयस ओवर्चर के लिए इंजन विकसित करने में मदद कर रही है.
बूम सुपरसोनिक की एक्सबी-1 परीक्षण उड़ान एक ऐतिहासिक कदम है. हालांकि यह अभी शुरुआती चरणों में है, लेकिन इसने यह साबित कर दिया है कि भविष्य में सुपरफास्ट, पर्यावरण-अनुकूल और किफायती एयरलाइंस संभव हो सकती हैं.
वीके/एनआर (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)