High-Speed Star Ddiscovery: खगोलविदों ने मिल्की वे आकाशगंगा में एक अजीबोगरीब खगोलीय पिंड को खोजा है, जो अविश्वसनीय रूप से 1.2 मिलियन मील प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रहा है. दिलचस्प बात यह है कि यह तारा अपने साथ एक विशाल एक्सोप्लैनेट (ग्रह) भी लिए हो सकता है, जिससे यह अब तक खोजे गए सबसे तेज गति वाले ग्रहों की प्रणाली में शामिल हो सकता है. यह खोज वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बन गई है, जो इसे समझने के लिए लगातार अध्ययन कर रहे हैं.
कैसे खोजा गया ये हाई-स्पीड तारा?
इस खगोलीय पिंड को पहली बार 2011 में माइक्रोलेंसिंग तकनीक के जरिए देखा गया था. माइक्रोलेंसिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी पिंड के गुरुत्वाकर्षण से गुजरने वाले प्रकाश की दिशा मुड़ जाती है, जिससे उसके अस्तित्व का संकेत मिलता है. अब, नए अध्ययनों ने इस पिंड को हाल ही में खोजे गए एक तारे से जोड़ा है, लेकिन इसकी सही प्रकृति और गति को लेकर अभी भी कई अनिश्चितताएँ बनी हुई हैं.
क्या सच में तारे के साथ कोई ग्रह है?
'द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल' में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यह नव-देखा गया तारा सूर्य के द्रव्यमान का लगभग पांचवां भाग है और आकाशगंगा के केंद्र से लगभग 24,000 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि यह वही पिंड है जिसे 2011 में देखा गया था, तो यह अत्यधिक गति से आगे बढ़ रहा है.
हालांकि, इस तारे के साथ किसी ग्रह की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक 'सुपर-नेप्च्यून' हो सकता है, जो इस तारे की कक्षा में शुक्र या पृथ्वी के समान दूरी पर स्थित हो सकता है. यदि यह सिद्ध होता है, तो यह खोज अब तक देखे गए ग्रहों की प्रणालियों में सबसे अनोखी होगी.
क्या यह तारा मिल्की वे को छोड़ सकता है?
यदि इस तारे की गति 1.3 मिलियन मील प्रति घंटे से अधिक हो जाती है, तो वैज्ञानिकों के अनुसार यह मिल्की वे को छोड़कर अंततः इंटरगैलेक्टिक स्पेस (अंतरआकाशगंगा क्षेत्र) में प्रवेश कर सकता है. यह अपने साथ ग्रह को भी ले जा सकता है, जिससे यह पहली बार होगा जब किसी हाईपरवेलोसिटी तारे के साथ किसी ग्रह की उपस्थिति दर्ज की जाएगी.
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के शोधकर्ता सीन टेरी के अनुसार, यदि यह खोज पुष्ट होती है, तो यह पहली बार होगा जब किसी हाई-स्पीड तारे के चारों ओर किसी ग्रह की उपस्थिति की पुष्टि की जाएगी. हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसकी सही गति और पहचान को लेकर अभी और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है.
अन्य संभावनाएँ और वैज्ञानिकों की राय
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के वरिष्ठ वैज्ञानिक डेविड बेनेट के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह वही पिंड है जो 2011 में देखा गया था, अतिरिक्त अवलोकन की आवश्यकता होगी. अनुसंधान दल अगले वर्ष तक इस तारे की गति पर नजर रखेगा ताकि इसकी सही स्थिति की पुष्टि हो सके.
एक और दिलचस्प संभावना यह भी है कि 2011 में देखा गया पिंड कोई भटका हुआ ग्रह हो सकता है, जो किसी एक्सोमून (ग्रह के चारों ओर चंद्रमा) के साथ था, न कि कोई तारा-ग्रह प्रणाली. यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड की वैज्ञानिक अपर्णा भट्टाचार्य के अनुसार, यदि यह तारा अपेक्षित गति से नहीं चलता है, तो भटके हुए ग्रह की परिकल्पना को अधिक प्राथमिकता दी जाएगी.
यह खोज न केवल खगोलविदों के लिए रोमांचक है बल्कि ब्रह्मांड की हमारी समझ को भी गहराई से प्रभावित कर सकती है. यदि यह सिद्ध हो जाता है कि यह तारा अपने साथ किसी ग्रह को लिए हुए अंतरआकाशगंगा क्षेत्र में प्रवेश कर सकता है, तो यह ब्रह्मांड में ग्रहों की उत्पत्ति और उनकी गति को लेकर हमारे सिद्धांतों को फिर से परिभाषित कर सकता है. अगले कुछ वर्षों में इस विषय पर और शोध किए जाएंगे, जिससे हमें इस अजीबोगरीब और तेज गति वाले तारे की पूरी कहानी समझने में मदद मिलेगी.













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