India Export Smartphones: स्मार्टफोन का बंपर निर्यात कर रहा भारत, 2023 की शुरुआत में ही कर ली दुनिया मुठ्ठी में
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 India Export Smartphones: ‘स्मार्टफोन’ आज किसके पास नहीं है? आज के जमाने में हर कोई स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने लगा है. इस बात को स्वीकारना गलत नहीं होगा कि आज ये हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं. यही कारण है कि हम में से काफी लोग सुबह बिस्तर से जागने से लेकर रात को सोने तक अपने फोन को हमेशा अपने साथ रखते हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि ये स्मार्टफोन आज केवल सम्पर्क माध्यम तक ही सीमित नहीं बल्कि हमारे अन्य कई कामों को भी आसान बना रहे हैं. यह भी पढ़े: Smartphone Tips: क्या आप अपने स्मार्टफोन के इस कमाल के फीचर का करते है इस्तेमाल? एक बार जरुर ट्राई करें

2 बिलियन डॉलर से अधिक हुआ निर्यात:

समय की इस मांग को समझते हुए ही भारत ने अपने आपको भी अपडेट कर लिया है। इसी का नतीजा है कि आज स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग से लेकर स्मार्टफोन निर्यात में भारत तेजी से आगे निकल रहा है। 2023 की शुरुआत में भारत ने पूरी दुनिया को अपनी मुठ्ठी में कर लिया है. इस संबंध में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा ”साल 2023 के पहले 2 महीनों में स्मार्टफोन का निर्यात 2 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है. पिछले वर्ष की तुलना में 6.62 गुना हुई वृद्धि याद हो, बीते दिनों केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी एक ट्वीट कर बताया था कि 2013-14 की इसी अवधि की तुलना में अप्रैल-जनवरी 2022-23 में भारत का मोबाइल फोन का निर्यात 6.62 गुना बढ़ गया है.

PM मोदी के नेतृत्व में हो रही प्रगति:

यह किसी से छुपा नहीं है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार की पहल और उद्योग के प्रयासों के परिणामस्वरूप ही भारत ने पिछले 5-7 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। इसका प्रमाण हमें तब आसानी से मिल जाता है जब हम साल 2014-15 में होने वाले मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात की आज से तुलना करने लगते हैं। साल 2014-15 की बात करें तो देश में लगभग 6 करोड़ मोबाइल फोन का उत्पादन होता था जो 2021-22 में बढ़कर लगभग 31 करोड़ हो गया. दुनिया में पॉपुलर हो रहे भारत निर्मित स्मार्टफोन

वहीं मोबाइल फोन के निर्यात में भी तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है.भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 45,000 करोड़ रुपए के मोबाइल फोन का निर्यात किया था. आज यही निर्यात साल 2023 के शुरुआती दो महीनों में ही 2 बिलियन डॉलर से अधिक का हो गया है. यह दर्शाता है कि कितनी तेजी के साथ भारत में निर्मित स्मार्टफोन दुनिया के बाजारों में अपनी जगह बना रहे हैं.

अमेरिका को भी छोड़ा पीछे:

साल 2019 में स्मार्टफोन की बिक्री के मामले में भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया था। इसी के साथ भारत ग्लोबली दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट बन गया और अब दुनिया में नंबर वन का मुकाम हासिल करने की ओर तेजी से अग्रसर है.

PLI योजना का मिला फुल सपोर्ट

यह सब हमारे मजबूत सरकारी समर्थन और स्थानीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र के विकास की ओर संकेत देता है, बड़े पैमाने के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र के लिए सरकार की पीएलआई योजना ने फॉक्सकॉन, सैमसंग, पेगाट्रॉन, राइजिंग स्टार और विस्ट्रॉन सहित प्रमुख वैश्विक कंपनियों को यहां आने के लिए आकर्षित किया है, जबकि लावा, माइक्रोमैक्स, ऑप्टिमस, यूनाइटेड टेलीलिंक्स नियोलिंक्स और पैडेट इलेक्ट्रॉनिक्स सहित प्रमुख घरेलू कंपनियों ने इसमें भागीदारी की है. इसी क्रम में अब एपल जैसी दिग्गज कंपनी स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भारत में आने को तैयार है.यानि एपल ने चीन की जगह भारत पर बड़ा दांव खेलने का फैसला किया है.

एप्पल और सैमसंग समेत प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों ने भारत में अपने अनुबंध निर्माताओं के माध्यम से इन मोबाइल निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अप्रैल 2022 से इन दोनों कंपनियों का भारतीय स्मार्टफोन निर्यात में लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा है. भारत में Apple के iPhone अनुबंध निर्माता फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन हैं – जिनका लगभग 55 प्रतिशत निर्यात होता है, जबकि सैमसंग शेष 35 प्रतिशत बनाता है. हाल ही में, सैमसंग ने उत्तर प्रदेश में अपना सबसे बड़ा विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया, जहां वह भारत और विदेशों में बेचे जाने वाले अपने अधिकांश मॉडलों का उत्पादन करती है। फिलहाल, साल 2022 के बाद से भारत में स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां हर महीने 1 अरब डॉलर के निर्यात पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं.

रोजगार में भी बढ़ोतरी:

भारत में पीएलआई योजना के समर्थन से स्मार्टफोन के उत्पादन और निर्यात के स्केल में इजाफे के साथ ही रोजगार में भी बढ़ोतरी हुई है. वहीं पीएलआई योजना से अगले पांच वर्ष के दौरान लगभग चार लाख करोड़ रुपए के निवेश की उम्मीद भी है. इससे भारत में 60 लाख नौकरियों के अवसर भी सृजित होने की संभावना है.