Syed Shahid Hakeem: पिता के नक्शेकदम पर चलने वाले फुटबॉलर, जिनसे गेंद छीन नहीं पाते थे विपक्षी

Syed Shahid Hakeem: सैयद शाहिद हकीम की गिनती उन खिलाड़ी और कोच के रूप में होती है, जिन्होंने भारतीय फुटबॉल (Indian Football) के स्वर्णिम युग में अहम योगदान दिया. 'हकीम साहब'(Hakeem sahab) के नाम से मशहूर इस दिग्गज ने कोच और एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में फुटबॉल को नई दिशा दी. उन्हें भारतीय फुटबॉल को उसके स्वर्ण युग में पहुंचाने वाली शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है.

23 जून 1939 को ब्रिटिश भारत में जन्मे सैयद शाहिद हकीम (Syed Shahid Hakeem) को यह खेल अपने पिता से विरासत में मिला था. सैयद शाहिद हकीम के सैयद पिता अब्दुल रहीम भारत के महानतम कोच में शुमार थे. दो बार एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले अब्दुल रहीम की कोचिंग में ही साल 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी शाहिद हकीम ने साल 1960 में सर्विसेज फुटबॉल टीम (Services Football Team) की ओर से अपना करियर शुरू किया. सैयद सेंट्रल मिडफील्डर के रूप में खेलते थे. जब गेंद उनके पास होती, तो विपक्षी टीम को बहुत छकाते. यह भी पढ़ें : DPL 2025: दिल्ली प्रीमियर लीग 2025 में सेंट्रल दिल्ली किंग्स के खिलाफ वेस्ट दिल्ली लायंस की रोमांचक जीत

हकीम साहब 1960 ओलंपिक के लिए प्रशिक्षित भारतीय टीम का हिस्सा थे. इस टीम को उनके पिता ने ही ट्रेनिंग दी थी, लेकिन अफसोस शाहिद हकीम उस ओलंपिक टीम (Olympic Team) का हिस्सा नहीं बन सके.एक वक्त था, जब फुटबॉल में शानदार खेल के चलते भारत को 'एशिया का ब्राजील' कहा जाता था. उस स्वर्णिम दौर में इस खिलाड़ी को उनकी शानदार स्किल्स की वजह से खास पहचान मिल चुकी थी, मगर 1960 ओलंपिक के बाद वह 1962 एशियन गेम्स के लिए चुनी गई भारतीय टीम में भी जगह बनाने से चूक गए. भारत ने उस समय एशियन गेम्स में गोल्ड जीता था. शाहिद हकीम भारतीय वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर थे. उन्होंने साल 1966 तक खेलना जारी रखा और इसके बाद अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए कोचिंग में करियर बनाया.

शाहिद हकीम 1982 एशियन गेम्स में पीके बनर्जी के साथ भारतीय फुटबॉल टीम के सहायक कोच थे. हिंदुस्तान एफसी, सालगांवकर एससी और बंगाल क्लब मुंबई (Bengal Club Mumbai) को कोचिंग देने वाले शाहिद हकीम 1998 में डूरंड कप जीतने वाली टीम के मैनेजर रहे. करीब 50 वर्षों तक फुटबॉल जगत से जुड़े रहने वाले शाहिद हकीम फीफा रेफरी भी रहे. उन्होंने 1988 एएफसी एशियन कप में अंपायरिंग भी की. शाहिद हकीम ने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के रीजनल डायरेक्टर का पद भी संभाला. 'ध्यानचंद पुरस्कार' और 'द्रोणाचार्य पुरस्कार' से सम्मानित शाहिद हकीम 22 अगस्त 2021 को दुनिया छोड़ गए.