Ganjari Stadium Varanasi: वाराणसी, जो अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान के लिए विश्व प्रसिद्ध है, अब खेल क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाने की तैयारी कर रहा है. गंजारी में बन रहा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, 451 करोड़ रुपये की लागत से 30.66 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है. इस स्टेडियम में 30,000 दर्शकों के बैठने की क्षमता होगी और इसका निर्माण 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है.
काली और लाल मिट्टी से बनेंगी पिचें
इस स्टेडियम की खासियत इसकी पिचों में इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी है. ओडिशा की काली मिट्टी और महाराष्ट्र की लाल मिट्टी का उपयोग करते हुए 14 पिचें बनाई जा रही हैं. मुख्य मैदान में नौ और बी मैदान में पांच पिचें तैयार की जाएंगी. पिचों की यह अनूठी संरचना खिलाड़ियों को बेहतरीन खेलने का अनुभव देगी.
यहां देखें वीडियो-
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स्टेडियम में भगवान शिव और काशी नगरी का झलक
स्टेडियम का डिजाइन वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर और भगवान शिव से प्रेरित है. छत अर्धचंद्राकार होगी, फ्लड लाइट्स त्रिशूल के आकार की होंगी, और प्रवेश द्वार को डमरू के आकार में बनाया जाएगा. यह डिजाइन न केवल आधुनिकता को दर्शाता है, बल्कि काशी की पौराणिक पहचान को भी संरक्षित करता है.
निर्माण कार्य और योजनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर 2023 को इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था. निर्माण कार्य अब तक 42% तक पूरा हो चुका है और फरवरी 2025 तक दर्शकों के बैठने की व्यवस्था पूरी कर ली जाएगी. यूपीसीए के प्रोजेक्ट निदेशक सरोज शुक्ला के अनुसार, स्टेडियम में मैच के दौरान उत्पन्न कचरे के निपटान की विशेष योजना भी बनाई गई है.
बीसीसीआई और उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका
स्टेडियम के निर्माण में बीसीसीआई और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है. सरकार ने जमीन अधिग्रहण के लिए 121 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि बीसीसीआई 330 करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है. यह प्रोजेक्ट वाराणसी और पूर्वांचल में क्रिकेट के प्रति बढ़ते उत्साह को और प्रोत्साहित करेगा.
स्थानीय समुदाय के लिए अवसर
यह स्टेडियम न केवल क्रिकेट के क्षेत्र में वाराणसी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार और अन्य आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा.
गंजारी स्टेडियम वाराणसी को न केवल एक सांस्कृतिक केंद्र, बल्कि एक विश्वस्तरीय खेल गंतव्य के रूप में भी स्थापित करेगा. इसकी पिचों से लेकर इसकी डिजाइन तक, यह प्रोजेक्ट भारत में खेल के विकास और स्थानीय समुदाय के सशक्तिकरण का प्रतीक बनेगा.