हिंदू धर्म ग्रंथों में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश), एवं त्रिदेवी (लक्ष्मी, पार्वती एवं सरस्वती) सर्वशक्तिशाली माने जाते हैं. पूजा पाठ में भी तीन आरतियां गाना शुभ माना जाता है. शिवजी के त्रिशूल के तीन सिरों का अर्थ सत्व, रज एवं तम, यहां तक कि शिवजी के नेत्र भी तीन होते हैं. किसी पवित्र स्थल की परिक्रमा भी तीन बार करने का विधान है, लेकिन विडंबना यह है कि वास्तु शास्त्र में ये 3 अंक शुभ नहीं माने जाते. वास्तु के अनुसार थाली में तीन रोटी परोसना, तीन मिठाई देना या किसी भी कार्य को तीन बार करना अशुभ माना जाता है. यहां तक कि भगवान को भी तीन प्रसाद, तीन फल आदि नहीं चढ़ाया जाता. आखिर क्या है यह तीन का तिलस्म? वास्तु शास्त्र की नजर में तीन अंक को लेकर इतनी नकारात्मकता क्या और क्यों है. आइये जानते हैं, तीन अंक से दूरी बनाने के लिए क्यों कहता है वास्तु शास्त्र? यह भी पढ़ें: Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार स्त्री की भूख पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होती है! जानें स्त्रियों से संबंधित कुछ ऐसी ही रोचक बातें!
मूलांक तीन
सनातन धर्म में तीन का अंक गुरू का अंक माना जाता है, और यह अंक जातक को मेधावी और बुद्धिमान बनाता है. लेकिन यही अंक विशेष परिस्थितियों में बुरा प्रभाव भी दिखाने से बाज नहीं आता. इतिहास में उल्लेखित है कि 3 अंक के रहते अनेक दुर्घटनाएं एवं हादसे होते रहे हैं. इस अंक वाले अपार क्षमताओं के बावजूद करियर में अवरोधों का सामना करते रहते हैं. 3 मूलांक वाले पारिवारिक दायित्वों में उलझे रहते हैं, और स्वयं का विकास नहीं कर पाते.
नंबर 3 का अंक ही होता है अशुभ
आदिकाल से ही पूजा पाठ में भी 3 के अंक को अशुभ माना जाता है. पूजा या प्रसाद में कोई भी सामग्री तीन अंकों में नहीं रखी या चढ़ाई जाती है. खाने की थाली में तीन रोटी, तीन फल, तीन मिठाई इत्यादि
मान्यता है कि थाली में 3 रोटियां केवल मृतक के नाम परोसी जाती हैं. ये बातें तेरहवीं पर अक्सर देखने को मिलती है. अक्सर देखा जाता है कि श्राद्ध के दरम्यान मृतक के नाम एक या तीन रोटी परोसी जाती है. ऐसे में किसी भी जीवित व्यक्ति को तीन रोटियां परोसना अशुभ समझा जाता है. इस संदर्भ में यह भी मान्यता है कि जो व्यक्ति थाली में तीन रोटियां या कोई अन्य तीन चीजें खाता है, उसके मन में दूसरों के प्रति शत्रुता का भाव उत्पन्न होता है. सिर्फ रोटियां ही नहीं बल्कि तीन फल, तीन लड्डू, एक प्लेट में रखकर नहीं परोसना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की उम्र भी कम होती है.