आचार्य चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि भारत के महान दार्शनिकों में भी शुमार हैं. सैकड़ों साल पुरानी उनकी नीति शास्त्र में पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों के बारे में भी काफी कुछ बताया गया है. चाणक्य ने अपनी नीति में स्त्रियों की शर्म, साहस, शौर्य के साथ-साथ काम भावना के बारे में भी काफी कुछ बताया है. उनकी नीति के अनुसार महिलाओं में काम भावना पुरुषों के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ती है. उदाहरण के लिए भूख से ज्यादा शर्म, उससे ज्यादा साहस और अंत में काम भावना पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होती है. सैकड़ों वर्ष पहले लिखी उनकी बातें आज भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने अपनी नीति शास्त्र में स्त्री एवं पुरुषों के गुण एवं दोषों के बारे में विस्तार से बताया है. उनकी नीति शास्त्र में कुछ ऐसे गुण होते हैं, जिनमें पुरुष उन्हें कभी मात नहीं दे सकता. आज यहां स्त्री के कुछ ऐसे ही गुणों की बात करेंगे.
विवाह से पूर्व स्त्री की इन बातों को परखें
चाणक्य नीति के अनुसार अगर किसी पुरुष को पत्नी के रूप में किसी लड़की का चयन करना है तो उसकी खूबसूरती नहीं उसके गुणों पर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि एक स्त्री घर को बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है, और यह कार्य गुणवती स्त्री बेहतर ढंग से कर सकती है. यह भी पढ़ें : Uttarakhand Sthapna Diwas 2022: उत्तराखंड की इन जगहों पर उठाएं खूबसूरत वादियों और प्रकृति का लुफ्त, ये हैं बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन
स्त्रियों में पुरुषों के मुकाबले ये बातें 4 और 6 गुना ज्यादा होती हैं
स्त्रियों में शर्म पुरुषों की तुलना में 4 गुना ज्यादा होती हैं, वहीं जहां तक साहस की बात है तो वहां पुरुषों के मुकाबले स्त्री 6 गुना ज्यादा साहसी होती हैं.
महिलाएं ज्यादा भावुक होती हैं
चाणक्य के अनुसार स्त्रियों में ममता के भाव ज़्यादा होती है. इसलिए वे पुरुषों की तुलना में ज्यादा भावुक होती हैं, लेकिन यह उनकी कमजोरी नहीं शक्ति होती है, जिसकी वजह से हर हालातों में वे अपनी पहचान को सुरक्षित रखती हैं.
स्त्रियों की भूख पुरुषों के मुकाबले दुगनी होती हैं.
स्त्रीणां द्विगुण आहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा
साहसं षड्गुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः
अर्थात आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में स्त्रियों की शक्ति एवं क्षमता के बारे में काफी कुछ लिखा है. चाणक्य नीति के अनुसार स्त्री की पेट की भूख पुरुषों से दुगनी होती है. अलबत्ता यह नीति आज लागू नहीं होता क्योंकि आज पुरुषों की तुलना में स्त्रियां अपनी वजन को लेकर ज्यादा चैतन्य रहती हैं.
स्त्रियों में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होती है कामेच्छा
सहवास के लिए भले ही पुरुष पहल करता हो, लेकिन जहां तक कामेच्छा की बात है तो महिलाओं में पुरुषो की तुलना में आठ गुना ज्यादा कामेच्छा की भावना होती है, परंतु वे शर्म, एवं झिझक के कारण पहल नहीं कर पातीं.