Sthapana Diwas 2023: त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय का 51वां स्थापना दिवस! जानें कैसे बनें ये संघीय भारत का हिस्सा?
Sthapana Diwas 2023 (Photo Credits: File Image)

भारत के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में एक बहुत ही लोकप्रिय नाम है 'सेवन सिस्टर'. वास्तव में ये 'सेवन सिस्टर' पूर्वी भारत के सबसे रमणीय मंत्रमुग्ध कर देने वाले सात प्रदेश हैं, त्रिपुरा अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय और नागालैंड. ये सातों प्रदेश अपनी हरियाली, दुर्लभ वनस्पतियों, झील, झरने, मनोहारी लोकेशनों एवं अन्य संसाधनों के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय हैं. इनमें से तीन सिस्टर्स यानी तीन राज्यों त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय को भारत की आजादी के 24 साल बाद 21 जनवरी 1972 को राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था. इसलिए आज इन तीनों राज्यों के बारे में विस्तार से वह सब कुछ जानने की कोशिश करेंगे, जिसे हर भारतीय को जानना और समझना जरूरी है.

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय, उत्तर पूर्व की क्षेत्रीय संरचना में पुराने असम प्रांत में मैदानी और पहाड़ी जिलों के साथ पूर्वी सीमांत क्षेत्र शामिल थे. 1949 में मणिपुर और त्रिपुरा की रियासतों को भारत में मिला कर इन्हें केंद्र शासित प्रदेशों का दर्जा दिया गया. नागालैंड को 1 दिसंबर, 1963 को राज्य का दर्जा दिया गया था. 21 जनवरी, 1972 को पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 के तहत त्रिपुरा, मणिपुर और मेघालय पूर्ण राज्य बन गए. यह भी पढ़ें : Shattila Ekadashi 2023 Messages: शुभ षट्तिला एकादशी! प्रियजनों को भेजें ये हिंदी WhatsApp Wishes, Facebook Greetings और Quotes

कब और कैसे हुआ इन राज्यों का भारत में विलय?

मणिपुरः 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के पश्चात भारत के लगभग सभी राज्यों जिनकी सीमाएं भारतीय संघ से लगती हैं, शांतिपूर्ण वार्ता के जरिये उन्हें विलय के लिए एकजुट कर लिया गया था. अधिकांश राज्यों के शासकों ने परिग्रहण के साधन दस्तावेज पर निर्विरोध हस्ताक्षर भारत संघ का हिस्सा बनने लिए स्वीकृति दे दी. कहा जाता है कि आजादी के कुछ समय पूर्व मणिपुर के महाराज बोध चंद्र सिंह ने मणिपुर की आंतरिक स्वायत्तता को बनाये रखने के लिए विलय पत्र पर हस्ताक्षर किये थे. इसके बाद जून 1948 में जनमत के दबाव में महाराजा ने मणिपुर में चुनाव कराया, जिसके बाद मणिपुर संवैधानिक राजतंत्र बन गया. इस तरह मणिपुर चुनाव कराने वाला भारत का पहला भाग था. हालांकि मणिपुर की विधानसभा में भारत के साथ विलय को लेकर काफी मतभेद थे, भारत सरकार ने 1949 में मणिपुर की विधानसभा से बात किये बिना विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिया था.

इस राज्य में प्राकृतिक संसाधनों का प्रचुर भंडार है। यहां की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यहां तरोताजा करने वाले जल-प्रपात है; रंग-बिरंगे फूलों वाले पौधे हैं, दुर्लभ वनस्पतियां व जीव-जन्तु हैं, पवित्र जंगल हैं. यहां की मणिपुरी नृत्य दुनिया भर में पसंद की जाती है. 22,327 वर्ग किमी में फैले मणिपुर की मुख्य भाषा मीटीलोन या मणिपुरी बोली जाती है.

त्रिपुराः 17 मई 1947 को त्रिपुरा के अंतिम महाराजा वीर विक्रम सिंह के निधन के पश्चात उनकी पत्नी महारानी कंचनप्रभा ने त्रिपुरा रियासत का नेतृत्व भार संभाला. कहा जाता है कि भारतीय संघ में त्रिपुरा के विलय होने में महारानी कंचनप्रभा ने सक्रिय भूमिका निभाते हुए 15 नवंबर 1949 में भारतीय संघ में विलय होने की स्वीकृति दे दी.

त्रिपुरा का आधे से अधिक भाग जंगलों से घिरा है, जो प्रकृति-प्रेमी पर्यटकों को आकर्षित करता है, किंतु दुर्भाग्य से यहां तमाम आतंकवादी संगठन पनप रहे हैं, जो अलग राज्य की मांग के लिए समय-समय पर प्रशासन से लड़ते रहते हैं. लगभग 10.491 वर्ग किमी में फैले त्रिपुरा में हिंदू एवं बंगालियों का बहुमत है. यहां 19 से ज्यादा जनजातियां निवास करती हैं.

मेघालयः साल 1947 में गारो एवं खासी क्षेत्र के शासकों ने बिना शर्त भारतीय संघ में शामिल हो गये थे. दरअसल मेघालय भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक छोटा पहाड़ी राज्य है, जो 2 अप्रैल, 1970 को असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. इस तरह 1972 में पूर्वोत्तर भारत के राजनीतिक मानचित्र में व्यापक परिवर्तन आया, और इस तरह दो केंद्रशासित प्रदेश मणिपुर एवं त्रिपुरा के साथ उपराज्य मेघालय को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला.

बादलों का घर कहे जाने वाले मेघालय का कुल क्षेत्र 22,430 वर्ग किमी है. यहां बोली जाने वाली मुख्य भाषाओं में खासी, पनार, और अंग्रेजी है. भारत के अन्य राज्यों से अलग यहां मातृवंशीय प्रणाली प्रचलित है, जिसमें वंशावली माँ (महिला) के नाम से चलती है और सबसे छोटी बेटी अपने माता पिता की देखभाल करती है तथा उसे ही उनकी सारी संपत्ति मिलती है. यह भारत का सबसे नम प्रदेश है, जिसका 70 प्रतिशत भाग वनों से आच्छादित है