Gudi Padwa 2025 Wishes In Sanskrit: गुड़ी पड़वा पर इन Shlokas, WhatsApp Messages, Facebook Greetings को भेजकर संस्कृत में कहें शुभं भवतु नववर्षम्!
गुड़ी पड़वा 2025 (Photo Credits: File Image)

Gudi Padwa 2025 Wishes In Sanskrit: चैत्र मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, क्योंकि इस महीने में जहां मां दुर्गा (Maa Durga) की उपासना के पर्व चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) को मनाया जाता है तो वहीं इसी महीने से हिंदू नव वर्ष (Hindu New Year) की शुरुआत होती है. एक तरफ जहां चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है तो वहीं दूसरी तरफ इसी पावन तिथि से हिंदू नव वर्ष का जश्न मनाया जाता है, जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी-अपनी स्थानीय परंपराओं व मान्यताओं के अनुसार मनाते हैं. महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में इसे गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के नाम से जाना जाता है. इस साल गुड़ी पड़वा का पर्व 30 मार्च 2025 को मनाया जा रहा है.

गुड़ी का अर्थ विजय पताका होता है, इसलिए इस दिन लोग अपने घर के द्वार या खिड़की की ऊंचाई पर गुड़ी सजाते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं. इस दिन घरों को सजाया जाता है, रंगोली बनाई जाती है और स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं. गुड़ी पड़वा के इस खास अवसर पर आप इन विशेज, श्लोक, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनों से संस्कृत में शुभं भवतु नववर्षम्! कह सकते हैं.

1- सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु ।
सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु ॥
भावार्थ: सब लोग कठिनाइयों को पार करें, कल्याण ही कल्याण देखें, सभी की मनोकामना पूर्ण
हो, सभी हर परिस्थिति में आनंदित हों.

गुड़ी पड़वा 2025 (Photo Credits: File Image)

2- आशासे त्वज्जीवने नवं वर्षम् अत्युत्तमं शुभप्रदं स्वप्नसाकारकृत् कामधुग्भवतु।
भावार्थः मुझे उम्मीद है कि नया साल आपके जीवन का सबसे अच्छा साल होगा. आपके सभी सपने
सच हों और आपकी सभी आशाएं पूरी हों.

गुड़ी पड़वा 2025 (Photo Credits: File Image)

3- सूर्य संवेदना पुष्पे, दीप्ति कारुण्यगंधने।
लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्॥
भावार्थ: जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, संवेदना करुणा को जन्म देती है, पुष्प सदैव महकता रहता
है, उसी तरह आने वाला हमारा यह नूतन वर्ष आपके लिए हर दिन, हर पल के लिए मंगलमय हो.
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

गुड़ी पड़वा 2025 (Photo Credits: File Image)

4- ब्रह्मध्वज नमस्तेऽस्तु सर्वाभीष्टफलप्रद ।
प्राप्तेऽस्मिन् वत्सरे नित्यं मद्गृहे मङ्गलं कुरु ॥
भावार्थ: जो सारे अभीष्ट फलों को प्रदान करता है, उस ब्रह्मध्वज को नमन है,
प्रार्थना है कि यह नववर्ष मंगलमय हो.

गुड़ी पड़वा 2025 (Photo Credits: File Image)

5- आशासे यत् नववर्षं भवतु मङ्गलकरम् अद्भुतकरञ्च।
जीवनस्य सकलकामनासिद्धिरस्तु।
भावार्थः मुझे उम्मीद है कि नया साल आपके लिए एक सुखद आश्चर्य लेकर आएगा. आप जीवन में जो
कुछ भी चाहते हैं, वह आपको मिले.

गुड़ी पड़वा 2025 (Photo Credits: File Image)

हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना का कार्य आरंभ किया था और इसी दिन सूर्य देव पहली बार उदित हुए थे. इस पर्व से जुड़ी एक प्रचलित कथा के अनुसार, त्रेता युग में दक्षिण भारत में राजा बाली का शासन हुआ करता था. उस दौरान मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम जब माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए लंका की ओर जा रहे थे, तब उनकी मुलाकात बाली के भाई सुग्रीव से हुई.

सुग्रीव ने श्रीराम से अपने भाई बाली के अत्याचार व आतंक के बारे में बताते हुए उनसे सहायता मांगी, जिसके बाद श्रीराम ने बाली का वध करते हुए उसके आतंक से सबको मुक्ति दिलाई. कहा जाता है कि श्रीराम ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही बाली का वध किया था, इसलिए गुड़ी को विजय पताका तौर पर फहराकर इस पर्व को मनाया जाता है.