Krishna Leela 2021: जब खेल-खेल में नन्हें कृष्ण ने कंस के 5 महामायावी असुरों का वध कर डाला!
श्री कृष्णा (Photo Credits: File Photo)

कहते हैं जब-जब पृथ्वी पर असुरों ने अत्याचार किया, भगवान विष्णु ने अवतार लेकर असुरों का वध किया और लोगों को भयमुक्त किया. द्वापर युग में जब कंस और दूसरे राक्षसों से पृथ्वी पर चारों तरफ आतंक और भय का वातावरण छाया हुआ था, भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था. ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेखित है कि भगवान श्रीकृष्ण जब कुछ ही माह के थे, उन्होंने पूतना राक्षसी का वध किया था. इसके बाद एक-एक कर उन्होंने पांच महाबलशाली असुरों का खेल-खेल में वध कर दिया. आइये जानें नन्हें बालकृष्ण ने कब, और किन-किन असुरों का वध किया था.

पूतना का वध:

कहते हैं कि कंस को जब पता चला कि उनका वध करने वाला भाद्रपद की अष्टमी के दिन मथुरा में जन्म ले चुका है, तब कंस ने उस तिथि में जन्म लेनेवाले सारे शिशुओं का वध करने के लिए सेना भेज दिया. लेकिन जब कंस को ज्ञात हुआ कि उनका हत्यारा नंद लाल के घर पल रहा है, तब उसने महाबल शाली राक्षसी पूतना को कृष्ण को मारने के लिए भेजा. पूतना एक सुंदर स्त्री का रूप धरकर कृष्ण को स्तनपान कराने लगी, उसे विश्वास था कि उसके स्तन का जहर कृष्ण को मार देगा. मगर स्तनपान करते-करते श्रीकृष्ण ने पूतना का वध कर दिया.

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तृणावर्त का वध:

बाल कृष्ण द्वारा पूतना का वध की खबर सुनकर कंस ने कृष्ण को मायावी बताते हुए अपनी राक्षस टीम के सबसे मायावी असुर तृणावर्त को कृष्ण का वध करने के लिए भेजा. तृणावर्त के बारे में मशहूर था कि वह महा बवंडर का रूप जब धरता था, तो बड़े-बड़े वृक्ष उखड़कर गिर जाते थे. तृणावर्त बवंडर बनकर शिशु कृष्ण को भी अपनी गोद में लेकर आकाश मार्ग की ओर लेकर उड़ गया. लेकिन बाल कृष्ण ने अपना वजन इतना बढ़ाया कि तृणावर्त उन्हें संभाल नहीं सका, ज्यों ही वह कृष्ण समेत ब्रज भूमि में गिरा, बाल कृष्ण ने उसका गला दबाकर मार दिया.

वत्सासुर का वध:

अपने महाबलशाली असुरों को श्रीकृष्ण के हाथों मरने की खबर सुनकर कंस का खून खौलने लगा. उसने पल-पल रूप बदलनेवाले मायावी वत्सासुर को कृष्ण को मारने हेतु ब्रज भेजा. वत्सासुर गाय का रूप धारण कर कृष्ण के गायों की भीड़ में जाकर मिल गया. बाल कृष्ण उस समय गायों का चरा रहे थे. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से बछड़े के रूप में छिपे वत्सासुर को पहचान लिया. उन्होंने उस बछिये की पूंछ पकड़ एक वृक्ष के मोटे तने पर पटक दिया. इस वजह से उसकी वहीं पर मृत्यु हो गयी.

बकासुर का वध:

कंस किसी भी कीमत पर भगवान श्रीकृष्ण का वध करवाना चाहता था. वत्सासुर का वध होने के बाद उसने बकासुर नामक एक और मायावी राक्षस को कृष्ण का वध करने के लिए भेजा. बकासुर अपने नाम के अनुरूप एक विशालकाय बगुला का रूप धरकर कृष्ण के पास पहुंचा और देखते ही देखते कृष्ण को निगल गया. लेकिन श्रीकृष्ण शीघ्र ही उसका पेट फाड़कर बाहर आ गये, और इस तरह बकासुर का भी अंत हो गया.

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अघासुर का वध:

बकासुर की मौत के बाद कंस ने कूटनीति रचते हुए बकासुर एवं पूतना के भाई अघासुर से कहा कि तुम्हारे भाई-बहन का हत्यारा कृष्ण ही है, जाओ उससे अपने भाई-बहन की हत्या का बदला लो. इससे अघासुर क्रोधित होकर नथुने फुलाते हुए कृष्ण को मारने ब्रज पहुंचा. उसने देखा कि कृष्ण अपने भाई और सखाओं के साथ खेल रहे थे. अघासुर एक विशालकाय अजगर बनकर वहीं अपना जबड़ा खोलकर बैठ गया. श्रीकृष्ण एवं उनके सखा उसके जबड़े को गुफा समझकर अंदर चले गये. अघासुर ने तुरंत जबड़ा बंद कर लिया. अंदर ग्वाल बालों का दम घुटने लगा तो उन्होंने कृष्ण से जान बचाने के लिए कहा. श्रीकृष्ण ने अपना आकार बढ़ाना शुरु किया. इससे अघासुर का दम घुटने लगा और इसी से उसकी मृत्यु हो गई.