
भागवत पुराण के अनुसार भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस वर्ष 30 अगस्त 2021 सोमवार को दुनिया भर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जायेगा. इस अवसर पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा होती है. इस दिन बहुत से हिंदू घरों में झांकियां सजाई जाती हैं. हिंदू समाज के अधिकांश लोग इस दिन उपवास रखते हैं. रात 12 बजे भगवान विष्णु बाल श्रीकृष्ण के रूप में माता देवकी की कोख से अवतरित होते हैं. श्रीकृष्ण के जन्म लेने के बाद महिलाएं सोबर गाती हैं, मंदिरों में रात भर कीर्तन-भजन होते हैं. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के समय पूजा-अर्चना के समय भगवान श्रीकृष्ण को उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तुएं क्या हैं. आइये जानें वे छह वस्तुएं क्या हैं, जिन्हें अर्पित करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होकर भक्त की हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
सुदर्शन चक्रः- श्रीकृष्ण का प्रिय आयुध है सुदर्शन चक्र. इसी सुदर्शन चक्र के कारण उन्हें चक्रधारी के नाम से भी जाना जाता है. परशुराम से प्राप्त सुदर्शन चक्र के बारे में मान्यता है कि इसका आक्रमण कभी खाली नहीं जाता. कहते हैं कि सुदर्शन चक्र के कारण ही दुर्योधन महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण का साथ चाहता था, लेकिन जब कृष्णजी ने बताया कि वे युद्ध में अस्त्र-शस्त्र का इस्तेमाल नहीं करेंगे, तब उसने श्रीकृष्ण की अक्षौहिणी सेना लेने की सहमति जताई थी. जन्माष्टमी के समय सुदर्शन चक्र का प्रतीक अर्पित किया जा सकता है.
माखनः- बाल कृष्ण के साथ माखन की बहुत-सी कहानियां लोकप्रिय हैं. अगर कहें कि बालकृष्ण और माखन एक दूसरे का प्रतीक रहा है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा. सखाओं के साथ गोपियों के घर से माखन चुराना, उनकी मटकी फोड़कर मक्खन गिराना, माँ यशोदा की सजा भुगतना, सजा के बाद माँ से रूठना, झूठ बोलकर बचने की कोशिश करना, आदि ऐसी तमाम लीलाएं बालकृष्ण का माखन के प्रति प्रेम दर्शाता है. इसलिए जन्माष्टमी की रात श्रीकृष्ण को माखन अवश्य चढ़ाना चाहिए.
पीतांबरः- पीतांबर वस्तुतः भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय परिधान है. इसीलिए उन्हें पीतांबरधारी भी कहा जाता है. यही बृहस्पति का रंग भी कहा जाता है, जो भगवान श्रीहरि को समर्पित माना जाता है. इसलिए जन्माष्टमी की रात जन्म के पश्चात बाल कृष्ण को पीतांबर धारण करवाना चाहिए.
गौ प्रतिमाः- धार्मिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण का बचपन ज्यादातर गायों को चराते हुए बीता था. वे स्वयं गायों को चराते और स्नान आदि कराते थे. उसके बछडों के साथ खेलते थे. भगवान श्रीकृष्ण गाय से बहुत प्रेम करते थे. जन्माष्टमी के दिन गौशालों में जाकर गाय की पूजा आदि किया जाता है. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के समय गाय की प्रतिमा रखकर उसकी पूजा की जाती है.
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मयुर पंखः- श्रीकृष्ण को मोर का पंख बहुत पसंद था. इस संदर्भ में एक कहानी प्रचलित है. एक बार श्रीकृष्ण राधा के साथ नृत्य कर रहे थे, तभी उनके साथ नृत्य कर रहे एक मोर का पंख नीचे गिर गया. श्रीकृष्ण ने वह मोर पंख अपने माथे पर धारण कर लिया. जब राधा जी ने पूछा कि उन्होंने मोर का पंख को सर पर क्यों धारण किया है. तो कृष्ण ने जवाब दिया कि मोरों के नाचने में उन्हें तुम्हारा प्रेम नजर आता है. इसलिए जन्माष्टमी के समय श्रीकृष्ण के पास मोर के पंख अवश्य रखने चाहिए.
बांसुरीः- कान्हा यानी श्रीकृष्ण का स्वरूप तभी संपूर्ण होता है, जब उनके हाथों में मुरली मनोहर होती है. कहते हैं कि जब उन्हें एकांत सताता है तो उस एकाकीपन को खत्म करने के लिए वे बांसुरी बजाते थे. उन्हें पता था कि बांसुरी की आवाज सुनते ही गोपियां सारे काम-धाम छोड़कर भागी चली आएंगी. श्रीकृष्ण का बांसुरी के प्रति प्रेम देखकर राधा भी अकसर उन्हें उलाहने देती थीं कि तुम्हें मेरी क्या जरूरत तुम्हें तो मेरी सौतन (बांसुरी) मिल ही गई है ना. जन्माष्टमी के दिन बांसुरी को अलंकृत करके श्रीकृष्ण को अर्पित करने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं.