Happy Datta Jayanti 2022: भारतीय राज्य महाराष्ट्र में हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दत्त जयंती (Datta Jayanti 2022) मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा (पूर्णिमा), देव दत्तात्रेय के अवतार / जन्मदिन के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है. भगवान दत्तात्रेय एक समधर्मी देवता हैं और उन्हें त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है. दत्तात्रेय, भक्त वत्सल हैं, जो भक्त पर बहुत दयालु हैं, भक्त को याद करके उस पर बहुत प्रसन्न होते हैं. इसलिए इन्हें स्मृतिगामी और स्मृतिमातरानुगंत भी कहा जाता है. दक्षिण भारत में प्रसिद्ध दत्त संप्रदाय भगवान दत्त को अपना प्रमुख देवता मानता है.
दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और उनकी पत्नी अनसूया के पुत्र थे. देवी अनसूया को सती स्त्रियों में श्रेष्ठ माना गया है. वनवास के समय माता सीता ने भी देवी अनसूया का आशीर्वाद लिया और पतिव्रता धर्म की शिक्षा प्राप्त की. कहा जाता है दत्त भगवान को 24 गुरुओं ने शिक्षा दी थी और उनके नाम से ही दत्त संप्रदाय का उदय हुआ है. दत्त संप्रदाय के लोग दत्तात्रेय जयंती को धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन भक्त गुरुचरित्र का पाठ और उनके नाम का जप करते हैं. कहा जाता है कि जिन लोगों ने गुरु मंत्र लिया है, उन्हें गुरु से मिलना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.
हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दत्त यानी दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है. इस खास अवसर पर लोग शुभकामना संदेशों के जरिए एक-दूसरे को बधाई देते हैं. ऐसे में आप भी भगवान दत्त के इन मनमोहक एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ, फोटो विशेज और वॉलपेपर्स को अपनों के साथ शेयर करके उन्हें हैप्पी दत्त जयंती कह सकते हैं.
1. दत्त जयंती की बधाई
2. दत्त जयंती की शुभकामनाएं
3. हैप्पी दत्त जयंती
4. हैप्पी दत्तात्रेय जयंती
5. दत्त जयंती 2022
पौराणिक कथा अनुसार एक बार त्रिदेवियों ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को महर्षि अत्रि मुनि की पत्नी अनुसूया की पतिव्रता का परीक्षा लेने के लिए भेजा. इसके बाद तीनों देव वेश बदलकर अत्रि मुनि के आश्रम पहुंचे और माता अनुसूया के सामने निर्वस्त्र होकर भोजन कराने की इच्छा व्यक्त की. माता अनुसूया ने ध्यान किया तो उन्होंने देखा कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश उनके सामने साधु के रूप में खड़े हैं, फिर उन्होंने कमंडल से तीनों साधुओं पर जल छिड़का, जिससे तीनों ऋषि शिशु बन गए. इसके बाद माता ने शिशुओं को भोजन कराया. त्रिदेवों को शिशु के रूप में देखकर देवी पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी पृथ्वी पर पहुंच गईं और माता अनुसूया से क्षमा मांगी, फिर तीनों देवताओं ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए माता अनुसूया के गर्भ से जन्म लेने का अनुरोध किया और त्रिदेवों ने दत्तात्रेय के रूप में जन्म लिया.