
होली का पर्व नज़दीक आते ही देशभर में उल्लास और उमंग की लहर दौड़ने लगती है. रंगों से सराबोर यह त्योहार भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. इस वर्ष होली 14 मार्च को मनाई जाएगी और इसकी तैयारियां ज़ोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं.
होली का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
होली का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और यह पर्व कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है. सबसे प्रसिद्ध कथा भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और भक्त प्रह्लाद की कहानी से संबंधित है. यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
होली की शुरुआत कहां से हुई?
बहुत कम लोग जानते हैं कि होली की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के ककेड़ी गांव से हुई थी. यह स्थान भगवान नरसिंह के मंदिर, प्रह्लाद घाट और हिरण्यकश्यप के महल के अवशेषों का साक्षी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरदोई को पहले 'हरिद्रोही' कहा जाता था, जो हिरण्यकश्यप की राजधानी थी.
हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कहानी
हिरण्यकश्यप एक असुर राजा था, जिसने भगवान विष्णु से शत्रुता रखी. उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, जिसे देखकर वह क्रोधित रहता था. उसने कई बार प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार विष्णु भगवान की कृपा से प्रह्लाद बच जाता था.
होलिका दहन की कथा
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती. उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का प्रयास किया, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गया. इसी घटना की याद में होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है.
हरदोई के विशेष तथ्य
हरदोई जिले में आज भी हिरण्यकश्यप के महल के खंडहर और प्रह्लाद घाट मौजूद हैं. यहाँ के बुजुर्गों की बोली में एक अनूठा प्रभाव देखने को मिलता है. कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप ने 'र' अक्षर के उच्चारण पर प्रतिबंध लगाया था, जिसका प्रभाव अब भी यहाँ की स्थानीय बोली में देखा जा सकता है.
ककेड़ी गांव का नृसिंह मंदिर
हरदोई जिले के सांडी ब्लॉक के ककेड़ी गांव में स्थित नृसिंह भगवान का मंदिर 5000 वर्षों से अधिक पुराना माना जाता है. यह मंदिर होली के ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है. यहाँ के लोग नृसिंह भगवान की पूजा कर होली का शुभारंभ करते हैं.
हरदोई में होली का अनोखा रंग
हरदोई में होली केवल रंगों का त्योहार नहीं बल्कि ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का पर्व भी है. यहाँ के लोग प्रह्लाद की भक्ति को याद करते हुए श्रद्धा और उल्लास से होली मनाते हैं.
होली का यह पावन पर्व केवल रंगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है. हरदोई की यह पौराणिक गाथा हमें बताती है कि कैसे सत्य और भक्ति की शक्ति से कोई भी बाधा पार की जा सकती है. इस वर्ष, जब आप होली मनाएं, तो इस ऐतिहासिक जुड़ाव को भी याद रखें और प्रेम, उल्लास और भाईचारे के रंगों में रंग जाएं.