होली रंगों का पर्व है, रंग जो अमीर-गरीब और ऊंच-नीच के भेदभावों को भुला देते हैं, देश समाज में सौहार्द एवं खुशियां बिखेरती है. इन दिनों भगवान श्रीकृष्ण-राधा की नगरी ब्रज और बरसाना में होली की विशेष धूम देखने को मिलती है. होली पर्व का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि बच्चों से लेकर वृद्धों तक को शिद्दत से इंतजार रहता है. इस वर्ष 14 मार्च 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी. होली पर लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं. अबीर-गुलाल लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. अगर आप अपने प्रियजन को गुलाल लगाने जा रहे हैं तो बड़ों को परंपरागत तरीके से पैरों पर अबीर लगाकर चरण स्पर्श करना चाहिए. यहां हमारे ज्योतिषाचार्य भागवत जी महाराज इस परंपरा के पीछे के वजहों का उल्लेख कर रहे हैं. यह भी पढ़ें: Holi 2025: होली खेलते समय रंगों से आंखों को कैसे बचाएं? BMC ने दिए जरूरी सेफ्टी टिप्स
घर में ऐसे करें होली की शुरुआत
होली रंगों के साथ-साथ सौहार्द का भी त्योहार माना जाता है. ऐसे में होली के दिन सर्वप्रथम घर के बड़े सदस्यों को ससम्मान पैरों में अबीर-गुलाल लगाकर उनका चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए. पैरों में अबीर-गुलाल लगाना हमारी पुरातन संस्कृति का हिस्सा है. इस तरह बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, मान्यता है कि घर के ज्येष्ठ जनों का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद होली खेलने से जीवन में खुशहाली आती है और घर में सुख समृद्धि का वास रहता है.
ज्योतिषीय इफेक्ट
भागवत जी महाराज के अनुसार हमारे पैर पृथ्वी तत्व के प्रतीक होते हैं. होली के दिन पैरों में अबीर या गुलाल लगाने से ग्रह शांत होते हैं, तन और मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है. वहीं होली के रंगों में नवग्रहों का प्रभाव होता है. इस तरह पैरों पर अबीर, गुलाल या रंग लगाने से जातक को देवी-देवता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. नकारात्मक ऊर्जा के नाश होने से कार्य में आ रहे अवरोध दूर होते हैं, और रुकी हुई सफलता आसानी से प्राप्त होती है.
धार्मिक महत्व क्या है?
होली के दिन बहुत से लोग स्नान-ध्यान करने के पश्चात भगवान श्री कृष्ण एवं राधा की प्रतिमा को अबीर-गुलाल लगाते हैं. इसके पश्चात मंदिर के सभी देवी-देवताओं को गुलाल लगाया जाता है. बहुत सारे लोग इस दिन कृष्ण मंदिरों में भी जाते हैं. इस दिन राधा-कृष्ण मंदिर में दिव्य सजावट एवं भव्यतम तरीके से होली खेली जाती है. मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन राधा-कृष्ण ने ही अबीर-गुलाल की होली खेलने की परंपरा शुरू की थी. ऐसा करने से राधा-कृष्ण का प्रेम आपके परिवार पर बरसता है. आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.













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