Swami Vivekananda Jayanti 2024 Quotes: स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था. पिता विश्वनाथ दत्त के पिता एक प्रतिष्ठित सरकारी प्रतिनिधि थे. माता भुवनेश्वरी सरल स्वभाव की ईश्वर में आस्था रखने वाली महिला थीं. बालपन में उन्हें नरेंद्रनाथ दत्त के नाम से पुकारा जाता है. स्वामी जी का जीवन सभी मानव जगत के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है. उन्होंने संपूर्ण विश्व को बताया कि भारत जैसा देश इतने वर्षो से साथ हैं. उसका कारण उनके ह्रदय में बसने वाली उनकी करुणा, मानवता और परस्पर प्रेम की भावना हैं, जो सबके लिए उदाहरण हैं, स्वामी जी, युवा पीढ़ी के ऊर्जा स्तम्भ हैं, जिसकी आज के युग में युवा पीढ़ी को बेहद आवश्यकता है. स्वामी विवेकानंद का सदा से यही मानना था, की युवा ही देश का भविष्य हैं, इसलिए उनका आध्यात्मिक एवं मानसिक रूप से मजबूत होना अनिवार्य हैं.
स्वामी विवेकानंद जी के ये अनमोल विचार आज भी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जिनसे सीख लेकर युवा पीढ़ी देश की प्रगति और विकास में अपना अहम योगदान दे सकती हैं. स्वामी विवेकानंद जयंती पर आप उनके इन विचारों को अपनों संग शेयर कर सकते हैं.
1- उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
2- तुम सोचोगे, वैसा ही बन जाओगे. खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बनोगे.
3- खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं
4- तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता. तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है. आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं है.
5- दिल और दिमाग के बीच टकराव हो रहा है तो दिल की सुनो.
6- शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं. विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं. प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं.
7- किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं.
8- एक समय में एक काम करें, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दें, बाकी सब कुछ भूल जाओ.
9- जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं.
10- जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
11- जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं.
12- चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो.
जब स्वामी विवेकानंद जी का मन आध्यात्म की ओर झुकने लगा, तब उन्होंने 25 वर्ष की आयु में ही संन्यास ले लिया. घर-द्वार छोड़कर संन्यास धारण करने के बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा. रामकृष्ण परमहंस से उनकी मुलाकात सन 1881 में कलकत्ता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर में हुई थी. स्वामी विवेकानंद के महान विचार आज भी लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलान लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.