Nag Panchmi 2023: सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन घर की महिलाएं अपने घर के एक दीवार पर नाग की प्रतिमा बनाकर पूजा करती हैं, तथा नाग देवता से अपने भाई एवं परिजनों की सलामती एवं सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं. पूजा के पश्चात सांपों को दूध पिलाती हैं. मान्यता है कि जिस घर में नागपंचमी के दिन नाग की पूजा होती है, और सांप को दूध पिलाया जाता है, उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती. बहुत सी जगहों पर इस दिन गुड़िया पंचमी का पर्व भी मनाया जाता है. परंपरानुसार लड़के गुड़िया को पीटते हैं. आइये बात करते हैं, इस पारंपरिक पर्व के साथ जुड़े कुछ रोचक एवं दिलचस्प पहलू.
नाग पंचमी के अनेक रूप
नागपंचमी के दिन की पूजा करने वाली अधिकांश महिलाएं एक दिन पहले नाग चतुर्थी को उपवास रखती हैं, इसे नागुल चविथि के नाम से जाना जाता है. आंध्रप्रदेश में नागुल चविथि का पर्व दीपावली के ठीक एक दिन बाद मनाया जाता है. इसके विपरीत गुजरात में नागपंचमी मूल नागपंचमी तिथि (सावन शुक्ल पंचमी) के 15 दिन बाद मनाई जाती है. गुजरात में प्रचलित अमावस्या से चंद्र कैलेंडर के अनुसार नाग पंचमी श्रावण माह कृष्ण पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है, इसे नाग पंचम भी कहते हैं. गौरतलब है कि नाग पंचम से एक दिन पूर्व ही गुजरात में बहुला चौथ का पर्व मनाया जाता है, इस दिन गाय की पूजा की जाती है.
नाग पंचमी पूजन विधि
नाग पंचमी पर स्नान-ध्यान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के मुख्यद्वार के दोनों तरफ 12 नागों अनंत, नाग वासुकी, शेषनाग, पद्मा, कंबाला, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया नाग, तक्षक नाग, पिंगला की आकृति बनाएं, इन्हें घी, दूध, जल से तर्पण करें. अब धूप-दीप, माला एवं पुष्प आदि अर्पित करें. निम्न मंत्र का जाप करें.
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अर्थात
इस लोक, आकाश, स्वर्ग, सूर्य की किरणों, सरोवरों, कुओं, तालाबों आदि में जो नाग निवास करते हैं. वे हम पर कृपा करें. हम उन्हें नमस्कार करते हैं.
अब घी, दूध और जल से तर्पण करें. इसके बाद गेहूं, दूध और धान के लावा आदि का भोग लगाएं. मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन पूजा करने से पीढ़ियों तक सर्प दोष से मुक्ति मिलती है.