Makar Sankranti 2020: नववर्ष में पर्वों की शुरुआत पौष मास के मकर संक्रांति से होती है. खगोलीय घटनानुसार जब सूर्य मकर राशि पर आता है, तभी मकर संक्रांति को योग बनता है. इसी दिन से सूर्य का उत्तरायण भी आरंभ होता हैं. हिंदू धर्म में इसी दिन खरमास की अवधि पूरी होने के साथ शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं, इस वजह से मकर संक्रांति का महत्व बढ़ जाता है. इस दिन गंगा स्नान, सूर्योपासना एवं तिल-दान का विशेष महात्म्य है. मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है. दक्षिण भारत में इसी दिन से पोंगल पर्व की भी शुरुआत होती है. जानें कैसे है इसका आध्यात्म के साथ-साथ वैज्ञानिक एवं आयुर्वेदिक महत्व...
इस वर्ष 15 जनवरी बुधवार के दिन मकर संक्रांति का पर्व पड़ रहा है. इसी दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर प्रयाण करने लगता है. दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं. वैसे तो मकर संक्रांति का दिन सभी राशियों के लिए फलदायी होता है, लेकिन मकर और कर्क राशि के लिए यह विशेष लाभदायक माना जाता है. इस दिन गंगा-स्नान कर तिल-दान एवं तिल से बनी वस्तुओं का सेवन किया जाता है. इसके अलावा इस दिन खिचड़ी खाने की भी विशेष प्रथा है, इसीलिए बहुत सी जगहों पर इस दिन को ‘खिचड़ी’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है. मकर संक्रांति का पर्व मनाते हुए हम पाते हैं कि इस पर्व का संबंध धर्म एवं अध्यात्म के साथ-साथ विज्ञान और कृषि से भी है.
मकर संक्रांति का आर्युवेदिक महत्व
इस मास चलने वाली सर्द हवाएं कई बीमारियों का कारण बन सकती हैं. इसलिए इस दिन प्रसाद के तौर पर खिचड़ी, तिल-गुड़ से बनी चिक्की, लड्डू, गजक जैसी वस्तुएं खाने का प्रचलन है. इन वस्तु विशेष के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, क्योंकि इन वस्तुओं का सेवन करने से शरीर के भीतर की गर्मी बढ़ती है, जो शीत ऋतु की ठिठुरती सर्दी से हमें बचाता है. मान्यता है कि इसी दिन से ठंड का प्रकोप क्रमशः कम होने लगता है.
‘खिचड़ी’ का लाभ
मकर संक्रांति के दिन प्रसाद के रूप में सर्वत्र भारत में विशेष रूप से खिचड़ी खाने की विशेष परंपरा है. चिकित्सकों के अनुसार खिचड़ी के नियमित सेवन से हमारी पाचन क्रिया सुचारु होती है. मटर और अदरक मिलाकर बनायी गई खिचड़ी शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है. यह शरीर को बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है.
संक्रांति काल – 07 बजकर 19 मिनट
पुण्य काल – 07 बजकर 19 से 12 बजकर 31 मिनट
मौसम परिर्तन का लाभ
मकर संक्रांति से सूर्य का ताप बढ़ने से समुद्र, नदियों एवं तालाबों में वाष्प बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. इस वजह से शरीर की छोटी-मोटी बीमारियां प्रायः खत्म होने लगती है. इस मौसम में तिल और गुड़ खाना का सेवन शरीर को मौसम के अनुरूप संतुलन प्रदान करता है. चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों का भी मानना है कि सूर्य के उत्तरायण से शीतऋतु की प्रचण्डता कम होती है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.