Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति जिसे माघी अथवा फसल उत्सव के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन किसान गेहूं, सरसों एवं अन्य नई फसलों की कटाई करते हैं. हिंदू पंचांग में यह पर्व बहुत शुभ माना जाता है. इस पवित्र पर्व पर श्रद्धालु पवित्र नदियों में डुबकियां लगाते हैं और सूर्य देव की पूजा अर्चना कर उन्हें अर्घ्य देते हैं. तिल-गुड़ के लड्डू का जायका लेने और पतंग उड़ाने से इस पर्व की खुशियां दुगनी हो जाती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.
इस दिन से सूर्य देव उत्तरायण की ओर प्रयाण करने लगते हैं. ज्योतिषियों के अनुसार मकर संक्रांति से घरों में शुभ एवं मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं.
दान-धर्म करना:
मान्यता है कि इस दिन ब्राह्मणों अथवा गरीबों एवं असहायों को किये गये दान-धर्म से कई गुना ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होती है. जरूरतमंदों को जितना ज्यादा दान दिया जाता है उससे कहीं ज्यादा आपको प्राप्त होता है. इस दिन विशेष रूप से तिल और गुड़ के दान का बहुत महत्व है.
खिचड़ी खाने की परंपरा:
उत्तर भारत में मकर संक्रांति को ही खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन चावल, दाल एवं मसालों से बनी खिचड़ी खाने से भाग्योदय होता है. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करने के बाद खिचड़ी खाने का विधान है.
गुड़ एवं काले-सफेद तिल के व्यंजन:
मकर संक्रांति के दिन गुड़ एवं काले-सफेद तिल से बने व्यंजनों का सेवन भी भाग्योदय का प्रतीक माना जाता है. सर्दी के दिनों में गुड़ एवं तिल दोनों ही सेहत के लिए बेहतर बताये जाते हैं.
पवित्र नदियों में डुबकी लगाना:
उत्तर भारत में मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा अथवा किसी भी पवित्र नदियों में डुबकी लगाने का बहुत आध्यात्मिक महत्व है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धालु अगर अपने नाते-रिश्तेदारों के नाम की भी डुबकियां लगा लेता है तो उन नाते-रिश्तेदारों को भी गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त हो जाता है. नदी में स्नान करने के बाद सूर्य की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है.
पतंग उड़ाने की प्रथा:
मकर संक्रांति के पर्व में सबसे ज्यादा आनंददायक होता है नीले आकाश में रंग-बिरंगे पतंग उड़ाना. इस दिन उत्तर भारत में जगह-जगह पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन पतंग उड़ाना बहुत शुभ होता है.
नये साल का यह पहला पर्व मकर संक्रांति पूरे देश में भिन्न-भिन्न नामों से मनाया जाता है. तमिलनाडू में यह पोंगल पर्व के नाम से लोकप्रिय है, जो लगातार चार दिन तक मनाया जाता है तो कर्नाटक, केरला और आंध्र प्रदेश में संक्रांति के नाम से ही मनाया जाता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.